Bihar Teacher: पटना. बिहार में शिक्षा विभाग की सुस्ती के चलते कई परिवारों के चूल्हे जलने पर आफत आ गयी है. किसी को वेतन का इंतजार है तो कोई अपनी पोस्टिंग की राह देख रहा है, लेकिन शिक्षा विभाग में कोई फाइल आगे बढ़ ही नहीं रही है. बिहार के करीब एक लाख शिक्षकों को इन तमाम फाइल के बढ़ने का इंतजार है. विभागीय सुस्ती के कारण बिहार के सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले 90,716 निकाय शिक्षकों का जीवन संकट में है.
शिक्षकों को चार माह से नहीं मिला है वेतन
बिहार में सक्षमता परीक्षा-1 पास 25,000 शिक्षकों को 4 महीने और सक्षमता परीक्षा-2 पास 65,716 शिक्षकों को 2 महीने से वेतन नहीं मिला है. इन शिक्षकों पर 1157 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है. निकाय शिक्षक से राज्यकर्मी बनने के बाद भी इनका प्रान नंबर और एचआरएमएस सिस्टम अपडेट नहीं हुआ, जिसके कारण वेतन रिलीज नहीं हो रहा. शिक्षकों का कहना है कि वेतन न मिलने से उनके बच्चों की पढ़ाई और परिवार का भरण-पोषण खतरे में है. उनको वेतन कब तक मिलेगा इसको लेकर विभागीय जानकारी अब तक उनके पास नहीं है.
प्रधान शिक्षकों को अब तक स्कूल आवंटन नहीं
बिहार में 37,943 प्रधान शिक्षकों का चयन हो चुका है, लेकिन 2 महीने बाद भी प्रखंड और स्कूल आवंटन नहीं हुआ. पटना में 1,984, पूर्वी चंपारण में 1,914, मधुबनी में 1,883, गया में 1,697 और पश्चिम चंपारण में 1,639 प्रधान शिक्षकों की नियुक्ति हुई है, लेकिन ये शिक्षक बिना स्कूल के भटक रहे हैं. इसके अलावा, बीपीएससी द्वारा चयनित 5,971 प्रधानाध्यापकों की काउंसलिंग को भी 2 महीने बीत गए, फिर भी जिला आवंटन नहीं हुआ.
नियुक्ति पत्र मिला, पर पोस्टिंग नहीं
टीआरई-3 के तहत 9 मार्च 2025 को 66,603 शिक्षकों को नियुक्ति पत्र मिला, लेकिन 2 महीने बाद भी उनकी पोस्टिंग नहीं हुई. न स्कूल, न सैलरी, ये शिक्षक सड़कों पर प्रदर्शन करने को मजबूर हैं. शिक्षा मंत्री सुनील कुमार और अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ से मुलाकात के बावजूद समाधान नहीं निकला. उधर, सरकार ने टीआरई-4 की प्रक्रिया शुरू कर दी, जिसमें 80,000 पदों पर बहाली की बात है, लेकिन टीआरई-3 की प्रक्रिया अधूरी पड़ी है.
शिक्षकों का भविष्य अंधेरे में
सक्षमता परीक्षा-3 के लिए 30,221 शिक्षकों ने आवेदन किया है और परीक्षा 10 से 15 मई 2025 के बीच होगी, लेकिन सक्षमता परीक्षा-1 और 2 पास शिक्षकों को वेतन न मिलने से नई परीक्षा की प्रक्रिया पर भी सवाल उठ रहे हैं. शिक्षकों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है, क्योंकि सरकार पुरानी समस्याओं का समाधान किए बिना नई भर्ती प्रक्रियाओं को बढ़ावा दे रही है. बिहार में 2.53 लाख शिक्षक सक्षमता परीक्षा पास कर राज्यकर्मी बने, लेकिन इनमें से 90,716 शिक्षकों का वेतन रुका हुआ है. शिक्षक परिवारों की आर्थिक स्थिति दयनीय हो रही है, और कई शिक्षकों के बच्चे स्कूल-कॉलेज की फीस न भर पाने के कारण पढ़ाई छोड़ने की कगार पर हैं.