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Bihar Tourism: वाल्मीकिनगर में का बा.. जंगल सफारी से लेकर खूबसूरत पहाड़ियां

Bihar Tourism वाल्मीकिनगर आने वाले पर्यटकों को गंडक नदी का एप्रोच पथ अपनी तरफ आकर्षित करता है. कारण कि बिलकुल नजदीक से बहती नारायणी नदी की धारा मन को शांति प्रदान करती है.

Bihar Tourism वाल्मीकिनगर में का बा जहां बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हमेशा आते है. जंगल बा, पहाड़ बा, भारत-नेपाल सीमा बा, दर्शनीय स्थल बा, मां सीता का पाताल लोक बा, आल्हा-ऊदल का अखाड़ा बा, बहुत कुछ बा. क्यों है वाल्मीकिनगर मुख्यमंत्री की पहली पसंद. भारत-नेपाल सीमा पर अवस्थित महर्षि वाल्मीकि की तपोस्थली अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए विख्यात है.

यहां कल-कल कर बहती नारायणी गंडक की धारा से सटे पड़ोसी देश नेपाल में सर उठा कर खड़े ऊंचे पहाड़ से घिरा वाल्मीकिनगर एवं वन क्षेत्र में प्राचीन काल से स्थापित मंदिरों के अलावा वन विभाग द्वारा नवनिर्मित बंबू हट, ट्री हट, कैनोपी वाक, वाल्मीकि विहार होटल, गंडक नदी में राफ्टिंग के अलावा जंगल सफारी, साइकिल सफारी आदि वाल्मीकिनगर के मुख्य आकर्षण के केंद्र हैं.


महर्षि वाल्मीकि की तपोस्थली के रूप में जानी जाती है वाल्मीकिनगर

वाल्मीकिनगर महर्षि वाल्मीकि की तपोस्थली के रूप में जानी जाती है. सन् 1964 में स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने गंडक बराज के निर्माण का शिलान्यास पड़ोसी देश नेपाल के राजा श्री 5 वीरेंद्र वीर विक्रम शाह के साथ रखी थी. ऐतिहासिक गंडक बराज के निर्माण के साथ पड़ोसी देश नेपाल में आने जाने का मार्ग सुगम हो गया था.

गंडक बराज में कुल 36 फाटक में 18 वां फाटक पार करते ही यह अनुभूति सुखद लगता है कि हम नेपाल की पवित्र धरती पर अपने कदम रख चुके हैं. वहीं वन क्षेत्र में प्राचीन काल से स्थापित मंदिर अपने दर्शन के लिए पर्यटकों को आकर्षित करते हैं. गंडक बराज से सटे सर उठा कर खड़े ऊंचे पहाड़ के साथ सूर्योदय तथा सूर्यास्त का बेहतर नजारा हृदय को स्पर्श कर जाता है. गंडक नदी के बांध पर टहलना सुखद अहसास दिलाता है.

प्राचीन मंदिर नर देवी

वाल्मीकिनगर के गोल चौक से सटे लगभग डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर घने वन क्षेत्र में प्राचीन काल से स्थापित आस्था का केंद्र मां नर देवी का मंदिर स्थापित है. जहां लोगों में आस्था है कि यहां आने वाले भक्तों की मन्नतें पूरी होती हैं. यह माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना आल्हा-ऊदल ने की थी तथा बीते वर्षों तक पूरी रात्रि माता की सवारी बाघ मंदिर की परिक्रमा किया करता था.

जटाशंकर मंदिर

वन क्षेत्र के अंदर स्थापित प्राचीन काल से भगवान शंकर महादेव का मंदिर है. वाल्मीकिनगर आने वाले और दर्शन की चाह रखने वाले जटाशंकर मंदिर का दर्शन कर और पूजा पाठ के बाद खुद को भाग्यशाली मानते हैं.

महाकालेश्वर मंदिर

नारायणी तट पर सोनहा घाट के नजदीक स्थापित प्राचीन काल से महाकालेश्वर मंदिर जो दुर्गम वन क्षेत्र में स्थापित है. भगवान शिव का अति प्राचीन मंदिर है. यहां जाने का मार्ग सुगम नहीं था. किंतु वन प्रशासन द्वारा इस मार्ग को हाथी शेड के निर्माण के कारण और सुगम बना दिया गया है. यह माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना बेतिया राज के राजा द्वारा की गयी थी.

वाल्मीकि आश्रम


वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के घने वन क्षेत्र से होकर गुजरने वाले रास्ते द्वारा नेपाली क्षेत्र में वाल्मीकि आश्रम स्थापित है, जो भारत-नेपाल सीमा पर स्थित है और महर्षि वाल्मीकि की तपोस्थली है. माता सीता के निर्वासन के बाद माता सीता ने लव कुश जैसे वीर बालकों को यही जन्म दिया था और माता सीता ने यही पाताल प्रवेश भी किया. भारी संख्या में भारत नेपाल सहित विदेशी पर्यटक भी प्रतिदिन वाल्मीकि आश्रम को नजदीक से देखने के लिए पहुंचते हैं.


गंडक बराज


भारत-नेपाल को जोड़ने वाली ऐतिहासिक गंडक बराज जो अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है. गंडक बराज के नीचे से होकर बहने वाली नारायणी गंडक की धारा की तेज आवाज लोगों को डरा देती है. लोग इस पुल पर पैदल चलना और आनंद लेना बेहतर समझते हैं.

कैनोपी वाक

वाल्मीकि विहार होटल से लगभग 500 मीटर की दूरी पर शॉर्टकट रास्ते के रूप में महाकालेश्वर मंदिर दर्शन करने का यह एकमात्र रास्ता है, जो कैनोपी वाक से होकर गुजरता है. इस कैनोपी वाक को रोपवे कहना ज्यादा उचित होगा. यह लगभग 500 मीटर लंबा है. जो बिना किसी पाए के हवा में झूलता रहता है. इस पर चढ़ने वाले पर्यटक हिचकोले खा कर आनंद की अनुभूति प्राप्त करते हैं और रोमांच से भर जाते हैं. कैनोपी वाक भ्रमण ना कर पाने वाले लोग खुद को वाल्मीकिनगर की यात्रा को पूर्ण नहीं मानते हैं.

जंगल सफारी का मजा

वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के दीदार को पहुंचने वाले पर्यटक जंगल सफारी के माध्यम से वन क्षेत्र में निवास करने वाले शाकाहारी और मांसाहारी जीव जंतुओं का जंगल सफारी के माध्यम से नजदीक से दीदार करते हैं. वन प्रशासन द्वारा जंगल सफारी के लिए बुकिंग की जाती है.

एप्रोच पथ पर मॉर्निंग वाक

वाल्मीकिनगर आने वाले पर्यटकों को गंडक नदी का एप्रोच पथ अपनी तरफ आकर्षित करता है. कारण कि बिलकुल नजदीक से बहती नारायणी नदी की धारा मन को शांति प्रदान करती है. जंगल कैंप परिसर में बने सुइट रूम के चार ऐसी कमरे, ट्री हट, बंबू हट, पर्यटकों के आकर्षण के मुख्य केंद्र हैं. प्राइवेट होटलों पर्यटकों के लिए बेहतर साफ सफाई के साथ कमरे उपलब्ध करा रहे हैं. किंतु पर्यटक अपनी पहली पसंद वाल्मीकि विहार होटल और जंगल कैंप को ही मानते हैं.

गंडक नदी पर बना पथ वे

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सपनों का नगर वाल्मीकिनगर में गंडक बराज के बाएं तटबंध पर काली मंदिर के समीप से महाकालेश्वर मंदिर तक नदी के जल को छूती पथ वे का निर्माण किया गया है. जिस पर भ्रमण करना पर्यटकों के लिए खासा आनंद दाई साबित होता है.

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RajeshKumar Ojha
RajeshKumar Ojha
Senior Journalist with more than 20 years of experience in reporting for Print & Digital.

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