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कैश कांड: संजीव हंस की मुश्किल बढी, नये मुकदमा की तैयारी, रडार पर 12 अफसर

कैश कांड आय से अधिक संपत्ति के मामले में संजीव हंस से जुड़े निजी सुरक्षा एजेंसी चलाने वाले एसके सिन्हा का भी नाम था़. आरोप है कि सिन्हा ही हंस के लिए विभिन्न कंपनियों के बीच होने वाले लेन देन में मध्यस्थ की भूमिका निभाता था.

अनुज शर्मा, पटना

बिहार कैडर के 1997 बैच के आइएएस अधिकारी संजीव हंस से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एक नयी एफआइआर कभी भी दर्ज हो सकती है. नयी एफआइआर स्पेशल विजिलेंस यूनिट (एसवीयू) में होगी अथवा आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) में दर्ज की जायेगी इस पर महाधिवक्ता कार्यालय के निर्णय का इंतजार किया जा रहा है.

प्रवर्तन निदेशालय (इडी) की एक चिठ्ठी के बाद यह कवायद हो रही है. केंद्र और राज्य की प्रवर्तन एजेंसियों के निशाने पर अब एक दर्जन के करीब आला अधिकारी, कुछ गैर लोकसेवक हैं जो संजीव हंस के लिए काम तो कर रहे थे, लेकिन अभी तक उनका नाम सामने नहीं आया है.

27 मार्च को प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में छापेमारी की. इस दौरान पटना के सात स्थानों पर की गई छापेमारी में ईडी ने कुल 11.64 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की थी.

आय से अधिक संपत्ति के मामले में संजीव हंस से जुड़े निजी सुरक्षा एजेंसी चलाने वाले एसके सिन्हा का भी नाम था़. आरोप है कि सिन्हा ही हंस के लिए विभिन्न कंपनियों के बीच होने वाले लेन देन में मध्यस्थ की भूमिका निभाता था. इडी इसकी गहराई में गयी तो रेशु रंजन सिंन्हा उर्फ रेशु उर्फ रेशु श्री की भूमिका उजागर हुई है.

सूत्रों का दावा है कि इसी पूछताछ के आधार पर 27 मार्च को इंजीनियरों के यहां छापेमारी की गयी थी और अब रेशु की भूमिका पूरी तरह खुलकर सामने आ गयी है. जांच में पाया गया है कि रेशु के करीब एक दर्जन अधिकारियों से निजी संबंध हैं. इनमें अधिकांश निर्माण कराने वाले विभाग में पदस्थ हैं. सूत्रों के अनुसार इडी ने करीब 10 दिन पहले एक पत्र बिहार सरकार को भेजा था.

इसमें रेशु की भूमिका का खुलासा करते हुए एफआइआर दर्ज करने की बात कही गयी है. चूंकि रेशु सरकारी कर्मचारी (गैर लोकसेवक) नहीं है इसलिए सरकार ने महाधिवक्ता कार्यालय के यहां इडी का पत्र भेजकर मंतव्य मांग लिया है.

सूत्र यह भी बताते हैं कि पूरा मामला संजीव हंस से जुड़ा होने के कारण प्रवर्तन निदेशालय की मंशा है कि नया केस एसवीयू में संजीव हंस के खिलाफ हो ताकि वह अपने यहां भी इनफोर्समेंट केस इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट दर्ज कर सके.

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RajeshKumar Ojha
RajeshKumar Ojha
Senior Journalist with more than 20 years of experience in reporting for Print & Digital.

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