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बदलाव: मध्यमा में अब होगी गीता और रामचरितमानस की भी पढ़ाई

बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के पाठ्यक्रम में बदलाव होगा.

संवाददाता, पटना: बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के पाठ्यक्रम में बदलाव होगा. नये स्वरूप में जल्द पाठ्यक्रम उपलब्ध होगा. पाठ्यक्रम में व्यापक संशोधन करते हुए रामचरितमानस, श्रीमद्भगवद्गीता और बिहार की महान विभूतियों से जुड़े विषयों को शामिल कर विद्यार्थियों को भारतीय संस्कृति, नैतिक शिक्षा और रोजगारोन्मुखी ज्ञान से जोड़ने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है. इसके लिए बोर्ड के सचिव नीरज कुमार ने अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार झा की अनुमति से छह सदस्यीय टीम का गठन 10 जुलाई को किया था. 11 से 12 जुलाई तक विषयवार समीक्षा कर नया प्रारूप तैयार किया गया. इस नयी पहल के तहत न केवल परंपरागत विषयों को आधुनिक संदर्भों से जोड़ा गया है, बल्कि छात्रों की दार्शनिक, नैतिक और व्यावसायिक क्षमता को विकसित करने की दिशा में भी ठोस प्रयास किये गये हैं. कम्प्यूटर, ज्योतिष, वास्तुशास्त्र, पौरोहित्य, योग व शारीरिक शिक्षा जैसे विषय ऐच्छिक रूप में जोड़े गये: बोर्ड अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार झा ने बताया कि रामचरितमानस को मध्यमा पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है ताकि छात्र भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक मूल्यों से रूबरू हो सकें. श्रीमद्भगवद्गीता के प्रमुख श्लोकों को नैतिक शिक्षा के रूप में समाहित किया गया है. बिहार के गौरव विद्यापति, भिखारी ठाकुर, दशरथ मांझी और पं अंबिकादत्त व्यास की कृति शिवराजविजयम् ग्रंथ को शामिल किया गया है. इन महान विभूतियों के जीवनवृत्त को भी पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया है. संस्कृत दर्शन के मूल ग्रंथ तर्कसंग्रह और शिवराजविजयम् को छात्रों के बौद्धिक विकास हेतु जोड़ा गया है. छात्रों को रोजगारोन्मुखी शिक्षा देने के उद्देश्य से कम्प्यूटर, ज्योतिष, वास्तुशास्त्र, पौरोहित्य, योग व शारीरिक शिक्षा जैसे विषय ऐच्छिक रूप में जोड़े गये हैं. गणित, गृहविज्ञान, संगीत, मैथिली और भोजपुरी जैसे विषयों को भी स्थान दिया गया है. बोर्ड के सचिव नीरज कुमार ने 10 जुलाई को छह सदस्यीय पाठ्यक्रम समिति का गठन किया था, जिसके संयोजक अरुण कुमार झा बनाये गये. समिति में डॉ रामसेवक झा, चंद्रकिशोर कुमार, डॉ विभूतिनाथ झा, डॉ हरेराम कुमार उपाध्याय और निरंजन कुमार दीक्षित सदस्य के रूप में उपस्थित रहे. प्रधान सहायक भवनाथ झा ने बताया कि समिति द्वारा तैयार पाठ्यक्रम को शीघ्र ही बोर्ड की बैठक में अनुमोदन हेतु प्रस्तुत किया जायेगा. अनुमोदन के बाद इसे प्रकाशित कर सभी विद्यालयों को भेजा जायेगा ताकि नया सत्र नूतन पाठ्यक्रम के साथ प्रारंभ हो सके.

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