Bihar: बिहार के सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में राज्य सरकार ने बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में तेजी से प्रगति करते हुए विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है. केवल जून महीने में पटना को तीन महत्वपूर्ण परियोजनाएं मिली हैं, जो राज्य की आधुनिक सोच और शासन की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं. राघोपुर को गंगा नदी पर नए पुल से जोड़ने की स्वीकृति, मीठापुर-महुली फोरलेन सड़क का उद्घाटन और पटना का पहला डबल डेकर फ्लाईओवर.
राघोपुर दियारा को मिली राजधानी से सीधी राह
23 जून को बिहार के लिए एक ऐतिहासिक दिन बन गया, जब सीएम नीतीश कुमार ने कच्ची दरगाह-बिदुपुर छह लेन परियोजना के प्रथम चरण में राघोपुर को एनएच-31 से जोड़ने वाले पुल का लोकार्पण किया. वर्षों से नावों के भरोसे राजधानी से जुड़ाव रखने वाले राघोपुर वासियों के लिए यह पुल एक वरदान बनकर आया है.
मानसून में संपर्क टूट जाना, स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाओं से वंचित रहना और रोजगार के अवसरों से कटे रहना अब बीते दिनों की बात हो जाएगी. इस पुल के माध्यम से पटना, हाजीपुर और दियारा क्षेत्र के गांवों के बीच न केवल सीधा और सुलभ संपर्क स्थापित हुआ है, बल्कि यह क्षेत्र अब राज्य के विकास की मुख्यधारा से जुड़ चुका है.
मीठापुर-महुली फोरलेन
पटना में यातायात के दबाव को कम करने और दक्षिणी क्षेत्रों को राजधानी से बेहतर तरीके से जोड़ने के उद्देश्य से 1400 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित मीठापुर-महुली-पुनपुन फोरलेन परियोजना की शुरुआत की गई है. सीएम द्वारा उद्घाटन किए गए. इस एलिवेटेड-सह-एटग्रेड सड़क का मार्ग भूपतिपुर से पुनपुन (NH-22) तक है, जो दक्षिण पटना के लाखों निवासियों के लिए राहत लेकर आया है. इससे न केवल वैकल्पिक रूट मिला है, बल्कि पुराने बाइपास पर ट्रैफिक का दबाव भी काफी हद तक कम होगा. यह सड़क भविष्य में दक्षिण पटना के शहरीकरण, व्यापार, और निवेश के नए अवसरों की नींव रखेगी.
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पटना को मिला पहला डबल डेकर फ्लाईओवर
11 जून को सीएम नीतीश कुमार ने पटना के अशोक राजपथ पर राज्य के पहले डबल डेकर फ्लाईओवर का लोकार्पण किया. 422 करोड़ रुपये की लागत से बनी यह सड़क साइंस कॉलेज से पीएमसीएच होते हुए कारगिल चौक तक फैली है. इसका सबसे बड़ा लाभ पटना विश्वविद्यालय, पीरबहोर, सिविल कोर्ट, बीएन कॉलेज, खजांची रोड, मखनियां कुआं, और महेंद्रू जैसे क्षेत्रों को मिला है, जहां अब यातायात काफी सुगम हो गया है. छात्र, मरीज और व्यवसायी वर्ग इससे खास तौर पर लाभान्वित हो रहे हैं. ये तीनों परियोजनाओं से यह साबित होता है कि बिहार अब सिर्फ योजना नहीं बनाता, बल्कि उन्हें तय समय के अंदर जमीन पर भी उतारता है.
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