Dakhil-Kharij: बिहार में दाखिल-खारिज को लेकर अब एक नया अपडेट सामने आया है, जिसमें अधिग्रहित सरकारी जमीन का दस्तावेज अधूरा रहने पर भी इसका दाखिल- खारिज हो सकेगा. इसका उद्देश्य अधिग्रहित जमीन पर दोबारा मुआवजा संबंधी विवाद की समस्या का समाधान करना है. इस संबंध में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने त्वरित गति से सरकारी जमीनों का दाखिल खारिज करने का संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया है. इसे लेकर विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने सभी अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सचिव, सभी प्रमंडलीय आयुक्त सहित सभी समाहर्ताओं को पत्र लिखा है.
बेवजह विवाद पैदा होने का डर
दरअसल, अधिग्रहित सरकारी जमीन की दाखिल खारिज नहीं होने से पुराने जमाबंदी में ही जमीन दिखती रहती है. ऐसी स्थिति में बेवजह विवाद पैदा होने का डर होता है. साथ ही रैयतों के वंशजों द्वारा दोबारा मुआवजे का क्लेम किये जाने का अंदेशा रहता है. सूत्रों के अनुसार, पहले नंबर पर वैसे विभाग या संस्थान हैं, जिनके स्वामित्व की भूमि के अधिग्रहण से संबंधित पूरे डॉक्यूमेंट उपलब्ध नहीं हैं. ऐसे दस्तावेजों में भू-हस्तांतरण आदेश, अभिलेख या भू-अर्जन अधिघोषणा या अवार्ड हो सकते हैं.
हालांकि, ऐसी संस्था के स्वामित्व की भूमि का साक्ष्य जैसे खाता, खेसरा, रकबा या नक्शा उपलब्ध है तो ऐसी स्थिति में दाखिल-खारिज के लिए आवेदन दिया जा सकेगा.
अंचल अधिकारी के माध्यम से होगी मापी
सूत्रों के अनुसार दूसरे नंबर पर ऐसे संस्थान हैं, जिनके स्वामित्व की भूमि के अधिग्रहण से संबंधित कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं. साथ ही संस्था के स्वामित्व की भूमि का कोई नक्शा या खाता, खेसरा भी उपलब्ध नहीं है. ऐसी स्थिति में संस्था के प्रमुख द्वारा संस्था के कब्जे की भूमि को चिह्नित कर अंचल अधिकारी के माध्यम से मापी करायी जायेगी. मापी रिपोर्ट और इसे लेकर संस्था प्रमुख का शपथ पत्र के आधार पर सरकारी भूमि दाखिल-खारिज पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन देना होगा. हालांकि, संस्था के किसी भी भूखंड पर अतिक्रमण नहीं होना चाहिए.
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