मिथिलेश,पटना जदयू के वरिष्ठ नेता और राज्य सरकार में ग्रामीण कार्य मंत्री डा अशोक चौधरी अब प्रोफेसर भी बन गये हैं. राजनीतिक शास्त्र के सहायक प्राध्यापक के लिए उनका चयन हुआ है. डा चौधरी ने बुधवार को कहा कि राज्य विवि सेवा आयोग ने उन्हें सहायक प्रोफेसर के पद के लिए चयनित किया है. 57 वर्षीय डा चौधरी ने पांच साल पहले इस पद के लिए आवेदन किया था. 24 जून को आयोग द्वारा जारी चयनितों की सूची में उनका नाम एससी कोटे से सफल उम्मीदवारों की श्रेणी में अंकित है. इस संबंध में डा चौधरी ने कहा कि वह राजनीति नहीं छोड़ेंगे और सहायक प्रोफेसर के तौर पर कोई वेतन नहीं लेंगे. उन्हाेने कहा कि उनके पिता ने उन्हें राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया था. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया था कि वे राजनीति में एक मजबूत आधार तैयार करें. यही वजह है कि राजनीति में आने से पहले उन्होंने मगध विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर और पीएचडी की डिग्री हासिल की थी. डा चौधरी ने सहायक प्रोफेसर के पद पर चयन को लेकर कहा कि राजनीति में रहते हुए भी मुझमें अकादमिक रुचि बनी रही. कई शोध पत्र प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं. कुछ वर्ष पहले, मुझे हार्वर्ड विश्वविद्यालय द्वारा स्वतंत्र भारत में अनुसूचित जाति की महिलाओं पर एक शोध पत्र पढ़ने के लिए आमंत्रित किया गया था. यह उनके डॉक्टरेट थीसिस का विषय भी था. इसलिए जब 2020 में पद की भर्ती निकली, तो उन्होंने आवेदन करने का फैसला किया. डा चौधरी ने बताया कि सोमवार को उन्हें अपने सफल होने की जानकारी मिली. इस बीच, कांग्रेस ने डा चौधरी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि एक ओर युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही है. लेकिन, अशोक चौधरी आरएसएस कोटे से 58 साल की उम्र में प्रोफेसर बन गये. गौतरलब है कि डा अशोक चौधरी के पिता स्व महावीर चौधरी कांग्रेस के शासन के दौरान मंत्री रहे थे. डा चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी समस्तीपुर से लोक जनशक्ति (रामविलास) की मौजूदा सांसद हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है