संवाददाता, पटना रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर, डीजे व ध्वनि उत्सर्जक उपकरणों के इस्तेमाल पर सख्त रोक लगा दी गयी है. इसके अलावा शहर के सभी साइलेंस जोन यानी राज भवन, अस्पतालों, न्यायालयों, शैक्षणिक संस्थानों के 10 मीटर के दायरे में शोर उत्पन्न करने वाले हॉर्न, निर्माण संयंत्रों का उपयोग वर्जित है. बोर्ड के प्रदूषण नियंत्रण विशेषज्ञों ने बताया कि शहर की बढ़ती आबादी को देखते हुए सड़कों पर वाहनों की बढ़ती संख्या, निर्माण कार्यों में इस्तेमाल होने वाले संयंत्रों, औद्योगिक गतिविधियों व त्याेहारों में लाउडस्पीकर, डीजे इत्यादि के अनियंत्रित उपयोग से होने वाले ध्वनि प्रदूषण के प्रति जन- जागरूकता अभियान चलाने का निर्णय लिया गया है. इस जागरूकता अभियान में पटना शहर को चार प्रक्षेत्रों में बांट कर आठ दिनों तक इ-रिक्शा के माध्यम से ध्वनि प्रदूषण के प्रति जागरूकता अभियान चलाया जायेगा. फ्ल्यू गैस डीसल्फराइजेशन में छूट से बढ़ रहा प्रदूषण पटना. बिहार के अधिकतर कोयला आधारित बिजली संयंत्रों को अब फ्ल्यू गैस डीसल्फराइजेशन यानी एफजीडी तकनीक लगाने से छूट दे दी गयी है. जबकि यह तकनीक सल्फर डाइऑक्साइड, पीएम 2.5 और पारे जैसे जहरीले उत्सर्जनों को कम करने के साथ-साथ सीमेंट उद्योग के लिए उपयोगी जिप्सम तैयार करने में सहायक मानी जाती है. भारत पहले से ही दुनिया का सबसे बड़ा सल्फर डाइऑक्साइड उत्सर्जक देश है और वैश्विक मानव जनित सल्फर डाइऑक्साइड उत्सर्जन का लगभग 20 प्रतिशत भारत से आता है. नयी नीति के अनुसार, कैटेगरी सी यानी झारखंड समेत आस-पास के प्रदेशों में संचालित पावर प्लांट्स को अब पूरी तरह से एफजीडी जैसे उत्सर्जन नियंत्रण उपकरण लगाने से छूट मिल गयी है. सीआरइए संस्थान के अनुसार पावर प्लांट्स से निकलने वाला प्रदूषण 200 किलोमीटर से अधिक की दूरी तक फैल सकता है. जिससे सीमावर्ती क्षेत्रों में भी प्रदूषण बढ़ता है.
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