Exclusive: शुभम कुमार/ इंडियन प्रीमियर लीग 2025 (आइपीएल 2025) शुरू होने वाली है. इसको लेकर बिहार समेत पूरे देश में सट्टेबाज गिरोह सक्रिय हो गये हैं. साइबर जालसाजों ने भी लोगों को ठगने के लिए जाल बिछा दिया है. ठग लोगों को आईपीएल मैचों पर सट्टा लगवा कर पहले जीत दिला कर अपने जाल में फंसाते हैं. फिर जब आपको जीत व पैसों का चस्का लग जाता है, तो फिर इनका असली खेल शुरू होता है. जालसाज न सिर्फ आपकी पूंजी लूटते हैं, बल्कि जीत की ख्वाहिश में सूदखोरों के चंगुल में भी फंसा देते हैं. हारने के बाद सूद पर पैसा देकर टारगेट शख्स को इतना कर्ज में डूबा देते हैं कि वह संपत्ति तक दांव पर लगा देते हैं. टेलीग्राम पर सट्टेबाजी की आड़ में साईबर अपराधियों ने चैनल बना लिया है. थोड़ी-सी लापरवाही से आपका पैसा व प्राइवेसी दोनों शातिर के पास चले जायेंगे.
70 से ज्यादा ऑनलाईन गेम्स पर लगता है पैसा
यह सब काम ऑनलाईन और प्रतिदिन होता है, जिसका हिसाब ऑनलाईन ही रहता है. टेलीग्राम पर लिंक के जरिये कई सारे आइडी ओपेन होते हैं, जिनमें क्रिकेट ही नहीं, बल्कि अन्य कई सारे गेम होते हैं, जिन पर सट्टा लगता है. सट्टेबाजी के दलदल में फंसे एक युवक ने बताया कि वैसे तो सालों भर सट्टेबाजी चलती है. बिग बैश समेत दुनियाभर में जितनी भी प्रीमियर लीग हो रही हैं, उनमें सट्टा लगता है. लेकिन, आईपीएल में सट्टेबाजों की संख्या और आइडी बुकिंग सौ गुनी अधिक हो जाती है. ऑनलाईन आईपीएल, 20-20, तीन पत्ती, आइसी, बॉलीवुड कसीनो, मिनी सुपर ओवर, गॉल, लकी 15, गोल्डन रॉलेट, 32 काड्र्स, वन कार्ड वन डे सहित कुल 70 प्रकार के ऑनलाइन गेम खिलवाते हैं.
आईडी खुलते ही एजेंट को मिल जाता है 20 प्रतिशत
सट्टेबाजी के इस गिरोह में एक बड़ा सिंडिकेट शामिल है, जो इस पूरे खेल की मॉनीटरिंग करता है और सट्टेबाजी का पैसा वसूलता है. आईपीएल मैच के दौरान ऑनलाईन एप के जरिये सट्टा लगाने वाले गिरोह में शामिल एक सदस्य ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि पिछले साल की अपेक्षा इस साल सट्टा काफी अधिक लगेगा. एक दिन में करीब एक से डेढ़ करोड़ का सट्टा पटना जिले में लग रहा है, जिसमें गिरोह के सदस्यों को 20 प्रतिशत तक मुनाफा हर दिन हो रहा है. सट्टा लगाने वाले शख्स को लाइन कहा जाता है, जो एजेंट यानी पंटर के जरिये बुकी (डिब्बे) तक बात करता है. एजेंट को एडवांस देकर अकाउंट खुलवाना पड़ता है. बताया कि यह अकाउंट 1000 रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक का खुल रहा है. जैसे ही कोई नया आदमी अपना आइडी बनवाता है, तो जितने रुपये की आइडी बनायी जाती है, उसका 20 प्रतिशत तुरंत एजेंट को मिल जाता है.
कम राशि ऑनलाईन, तो बड़ी रकम एजेंट पहुंचाते हैं
ऑनलाईन सट्टेबाजी में कई सदस्य भी बाजार में काम करते हैं, जो नया आइडी बनवाने और फिर सट्टा जीतने और हारने वाले सदस्यों से रुपये की वसूली करते हैं. कम राशि सीधे ऑनलाईन एप के जरिये पेमेंट कर दी जाती है, लेकिन बड़ी रकम को एजेंट के जरिये भेजवायी जाती है.
टॉस, रन, विकेट, बाउंड्री और स्कोर पर अलग-अलग सट्टा
सट्टेबाजी के इस दलदल में फंसे एक युवक ने बताया कि सट्टेबाजी की आईडी में टॉस, रन, विकेट, बाउंड्री और स्कोर पर अलग-अलग सट्टा लगता है. महज कुछ ही सेकेंड में आईडी लेकर सट्टेबाजी कर रहे सैकड़ों लोग लाखों रुपये गंवा देते हैं. यही नहीं, कौन सा खिलाड़ी कितना रन बनायेगा, कौन शतक या अर्धशतक मारेगा, इस पर भी लाखों रुपये का सट्टा लगता है.