Gopal Khemka Murder Case: पटना में चर्चित व्यवसायी गोपाल खेमका की हत्या को लेकर अब पुलिस पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं. परिजनों और व्यापारिक संगठनों ने आरोप लगाया है कि घटना के बाद पुलिस की प्रतिक्रिया बेहद लचर रही. मौके पर पुलिस की देरी, जांच में तकनीकी टीमों की अनुपस्थिति और गश्ती व्यवस्था की ढिलाई ने बिहार की कानून-व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं.
लोकेशन पूछती रही पुलिस, मौके पर पहुंचने में लगे डेढ़ घंटे
गोपाल खेमका के भाई शंकर खेमका ने बताया कि घटना के बाद करीब डेढ़ घंटे तक गांधी मैदान थाने की पुलिस, थानेदार और DSP उनसे मेडिवर्सल अस्पताल का लोकेशन पूछते रहे. जब तक कंकड़बाग की पुलिस मौके पर पहुंची, तब तक घटनास्थल की स्थिति पूरी तरह बदल चुकी थी. वहीं, जिस थाना क्षेत्र में हत्या हुई, वहां की पुलिस को मौके पर पहुंचने में तकरीबन डेढ़ घंटे का समय लग गया.
खुले में पड़ा रहा खोखा और जिंदा कारतूस
घटना के ढाई घंटे बाद जब टाउन DSP और थाना प्रभारी मौके पर पहुंचे, तब तक न कोई जांच टीम पहुंची थी और न ही क्राइम सीन को सील किया गया था. शंकर खेमका ने पुलिस से कहा कि “अब तक आपको नहीं दिखा कि यहां जिंदा कारतूस और खोखा पड़ा है?”

मौके पर FSL की टीम और डॉग स्क्वॉयड नहीं थे मौजूद
जिस गाड़ी में गोपाल खेमका सवार थे, उसमें खून के धब्बे साफ नजर आ रहे थे. इसके बावजूद एफएसएल टीम, डॉग स्क्वॉयड या क्राइम सीन यूनिट को नहीं बुलाया गया. भीड़ मौके पर आती-जाती रही, लेकिन पुलिस ने किसी को नहीं रोका, न ही घटनास्थल को सुरक्षात्मक घेरे में लिया गया.

रियलटी चेक में क्या मिला?
प्रभात खबर के संवाददाता ने घटना के बाद रामकृष्णानगर, कंकड़बाग, गांधी मैदान और पटना जंक्शन तक का दौरा किया, लेकिन कहीं भी पुलिस की गश्ती टीम नजर नहीं आई. यह सवाल अब जांच का हिस्सा बन चुका है कि उस वक्त गश्ती पुलिस कहां थी?
IG सेंट्रल ने दी जांच की जानकारी
आईजी सेंट्रल जीतेंद्र राणा ने बताया कि पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर जांच का निर्देश दिया गया है. उन्होंने कहा, “जिसकी भी लापरवाही सामने आएगी, उस पर कार्रवाई होगी. साथ ही हम घटना को अंजाम देने वाले, करवाने वाले और कारणों के काफी करीब हैं.”
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