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Gopalganj News: इंसाफ की इंतजार में गुजर गये 39 वर्ष, कोर्ट में नहीं पहुंचे आइओ व डॉक्टर

असर्फी देवी ने बताया कि 37 वर्ष तक न्याय मिलेगा इस उम्मीद में वकील व कोर्ट का चक्कर काटती रही. अभियुक्तों के प्रभाव के आगे गरीबी हार मान गयी. हम थक- हार कर चुप हो गये. खली तारीख पर तारीख मिलता रहा.

संजय कुमार अभय, गोपालगंज

Gopalganj News जस्टिस डीलेड इज जस्टिस डिनायड यानी देर से मिलने वाला न्याय न्याय नहीं होता. सिविल कोर्ट गोपालगंज में कई मामले 10- 40 वर्षों से इंसाफ की इंतजार में दम तोड़ रहा. एक ताजा मामला यह है कि इंसाफ की इंतजार में 39 वर्ष गुजर गये. जमीन पर कब्जा करने को लेकर हुए इस हत्याकांड में कोर्ट में साक्ष्य देने के लिए ना तो कांड के आइओ आये और ना ही पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर.

हैरत तो इस बात का है कि एक गवाह रामनंद चौधरी ने 1998 में कोर्ट में आकर अपना बयान रेकॉर्ड कराया. बाद में रेकॉर्ड बयान गायब हो गया. पीड़ित पक्ष की ओर से चोकट चौधरी, गरजू चौधरी,रामदेव चौधरी, रामदयाल चौधरी, जग चौधरी का बयान रेकॉर्ड करा चुका था. उधर, इंसाफ की उम्मीद में परिवार के लोग मजदूरी कर कोर्ट में वकील का चक्कर लगाते रहे. थक हार कर परिजन हताश होकर घर बैठ चुके थे.

उनको इंसाफ मिलने की उम्मीदें खत्म हो चुकी थी. अब मामला सामने आने के बाद एडीजे मानवेंद्र मिश्र की कोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए कांड के आइओ रामेश्वर प्रसाद, त्रिभुवन प्रसाद, राम कृपाल सिंह, डॉक्टर व गवाह रामानंद चौधरी को समन देकर कोर्ट में गवाही देने के लिए बुलाया है. कोर्ट से अब समन जारी होने के बाद पीड़ित परिजनों को उम्मीद जगी है. अगला तिथि चार मार्च को निर्धारित की गयी है.

हत्याकांड के दो अभियुक्तों की हो चुकी है मौत

घटना के 39 वर्ष बीत जाने के बाद भी कोर्ट का निर्णय नहीं आया. इस दौरान कांड के नामजद अभियुक्त महात्म उपाध्याय, अवधेश उपाध्याय की मौत हो चुकी है. जबकि अभी सुभाष उपाध्याय, मंटू उपाध्याय, गिरीश उपाध्याय, राम पृत चौधरी, ध्रुवदेव उपाध्याय के खिलाफ मामला कोर्ट में ट्रायल हो रहा.

तीन गवाहों की भी हो चुकी है मौत

गीता चौधरी हत्याकांड में गवाहों में से गरजू चौधरी, रामदेव चौधरी, राम दयाल चौधरी की मौत हो चुकी है. जबकि रामानंद चौधरी जीवित है. कोर्ट में कई गवाह मुकर भी चुके है.

पति को इंसाफ दिलाने के लिए भटकती रही असर्फी

गीता चौधरी की हत्या हुई तो उनको दो पुत्र नमी चौधरी व प्रभुनाथ चौधरी एवं चार बेटियों की जिम्मेदारी उनकी पत्नी असर्फी देवी पर आ गयी. असर्फी देवी गम से उबरी. परिवार के लोगों का सहारा मिला. बच्चों को ठीक से पढ़ा- लिखा नहीं सकी. इसका मलाल उसे जीवन भर रहा. बच्चों की शादी- विवाह करने के साथ ही पति को इंसाफ दिलाने के लिए कोर्ट का चक्कर लगाती रही.

असर्फी देवी ने बताया कि 37 वर्ष तक न्याय मिलेगा इस उम्मीद में वकील व कोर्ट का चक्कर काटती रही. अभियुक्तों के प्रभाव के आगे गरीबी हार मान गयी. हम थक- हार कर चुप हो गये. खली तारीख पर तारीख मिलता रहा. कोर्ट से जब समन की जानकारी मिली तो असर्फी कुंभ स्नान करने के लिए निकल पड़ी. जबकि उनके पोता बुलेट चौधरी, उसकी पत्नी रमीता देवी व चाची मिंतू देवी ने बताया कि अब उनको न्याय मिलने का उम्मीद जगी है.

पूरा घटनाक्रम को समझिए

एचकागांव थाना क्षेत्र के तुलसियां के रहने वाले गीता चौधरी उर्फ रामचंद्र चौधरी के तहरीर पर केस दर्ज हुआ था. जिसमें आरोप था कि 23 मार्च 1986 कर सुबह आठ बजे में जमीन सर्वे न० 2156 है. उसी के बगल अपन खेत के तरफ गया जहां पर अल में मेरा कास्त जमीन सर्व न 153 है. जिसमें मसुरी, तीसी लगाया था. पड़ोसी मथौली गांव के महात्म उपाध्याय से एसडीओ कोर्ट में 144 चल रहा था.

उसी खेत में महात्म उपाध्याय, सुभाष उपाध्याय, मंटू उपाध्ययाय, गिरीश उपाध्याय, अवधेश उपाध्याय, रामपृत चौधरी व ध्रुवदेव उपाध्याय ने उखाड़ रहे थे. मना करने पर उनलोगों ने भाला, साइकिल के चेन व घातक हथियार से बेरहमी से पीटा, चिखने चिल्लाने पर जब लोग पहुंचे तो वे लोग भागे. बाद में इलाज के क्रम में गीता चौधरी की मौत हो गयी. उचकागांव थाना में कांड सं 24/1986 दर्ज हुआ.

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RajeshKumar Ojha
RajeshKumar Ojha
Senior Journalist with more than 20 years of experience in reporting for Print & Digital.

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