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बिहार का भूजल देश की तुलना में बेहतर, फ्लोराइड का दायरा घटा तो क्लोराइड, यूरेनियम ने दी दस्तक

Ground Water in Bihar : आर्सेनिक प्रभावित जिलों में बिहार उत्तर प्रदेश के बाद दूसरा राज्य है. बिहार के 20 जिलों के भूजल में आर्सेनिक की मात्रा अनुमान्य सीमा से काफी अधिक है.

Ground Water in Bihar : पटना, प्रह्लाद कुमार. देश के अन्य राज्यों की तुलना में बिहार में पानी अब भी बेहतर स्थिति में है. भूजल में फ्लोराइड की मौजूदगी यूपी के 27 जिलों, झारखंड के आठ जिलों, राजस्थान के 31, गुजरात के 25, तेलंगाना के 28, तमिलनाडु के 21 जिलों में है. वहीं, बिहार में महज छह जिलों में फ्लोराइड है. साथ ही, सैलेनिटी (खारापन) की समस्या आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान व उत्तर प्रदेश में बहुत है, लेकिन बिहार की बात करें, तो यहां पानी में खारापन की स्थिति में किसी तरह की बढ़ोतरी नहीं है.

आर्सेनिक प्रभावित जिलों में बिहार नंबर दो

आर्सेनिक प्रभावित जिलों में बिहार उत्तर प्रदेश के बाद दूसरा राज्य है. बिहार के 20 जिलों के भूजल में आर्सेनिक की मात्रा अनुमान्य सीमा से काफी अधिक है. वहीं, यूरेनियम की उपस्थिति केवल सीवान में मिली है. बिहार सरकार के दिशा-निर्देश पर गुणवत्ता प्रभावित इलाकों में रहने वाले परिवारों को पानी से हो रही बीमारियों से बचाने के लिए पीएचइडी लगातार हर घर नल का जल पहुंचाने में जुटा है. प्रदूषण वाले इलाके में विभाग जल शुद्धिकरण संयंत्र लगा कर शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया है.

मुख्य बातें

  • -तेजी से बढ़ते भूजल संक्रमण को रोकने के लिए यह समेकित प्रयास जरूरी
  • पीएचइडी द्वारा 123 जल जांच प्रयोगशाला चलायी जा रही हैं, लेकिन अधिकतर पद खाली रहने के कारण जल जांच कम हो रहे हैं. शहरी जलापूर्ति व्यवस्था के लिए नगर विकास एवं आवास विभाग के पास की लैब नहीं है.
  • समुदाय स्तर पर फील्ड टेस्ट किट के माध्यम से पेयजल गुणवत्ता की निगरानी जरुरी है. इसके लिए पीएचइडी ने किट खरीदने के लिए निविदा जारी की गयी है.
  • कृषि में जैविक खाद को प्रोत्साहन देने के लिए काम किया जायेगा.
  • कचरा जल प्रबंधन और मल प्रबंधन के लिए नयी नीति बनायी जायेगी, ताकि दूषित पानी का क्षेत्र में बढ़ोतरी नहीं हो.

भूजल में नाइट्रेट, क्लोराइड, यूरेनियम ने दी दस्तक

पीएचइडी के मुताबिक राज्य के 30,207 ग्रामीण वार्डों के भूजल में आर्सेनिक, फ्लोराइड व आयरन अनुमान्य सीमा से अधिक है. इसके बावजूद इसे जल शुद्धिकरण संयंत्र लगा कर शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया है, साथ ही, भूजल में नाइट्रेट, क्लोराइड, यूरेनियम व सैलेनिटी (खारापन) ने नयी चुनौती के रूप में दस्तक दी है. आयरन की चुनौती 10 जिलों तक ही नहीं, 33 जिलों में पहुंची है. वहीं, फ्लोराइड का दायरा घटा है. फ्लोराइड मात्र छह जिलों बांका, गया, जमुई, नालंदा, नवादा व शेखपुरा में ही रिपोर्ट हुई है. आर्सेनिक गंगा नदी के समीप वाले जिलों से आगे बढ़कर अररिया, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, किशनगंज, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, शिवहर, सीतामढ़ी, सुपौल, पश्चिम चंपारण में भी रिपोर्ट हुई है, जिसको लेकर पीएचइडी ने नये सिरे से नीति बनाने का निर्देश अधिकारियों को दिया है.

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Ashish Jha
Ashish Jha
डिजिटल पत्रकारिता के क्षेत्र में 10 वर्षों का अनुभव. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश. वर्तमान में पटना में कार्यरत. बिहार की सामाजिक-राजनीतिक नब्ज को टटोलने को प्रयासरत. देश-विदेश की घटनाओं और किस्से-कहानियों में विशेष रुचि. डिजिटल मीडिया के नए ट्रेंड्स, टूल्स और नैरेटिव स्टाइल्स को सीखने की चाहत.

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