पंडारक. माॅनसूनी बारिश से प्रखंड की आठ पंचायतों के सैकड़ों एकड़ में रोपी गयी धान व मकई की फसल पानी डूबकर बर्बाद हो गयी. प्रखंड प्रमुख उदय कुमार ने बताया कि रोपाई की गयी धान के पौधे के पानी में डूब जाने से किसानों भारी आर्थिक क्षति पहुंची है. वहीं गंगा सहित टाल क्षेत्र से बहने वाली छोटी-छोटी नदियों के जलस्तर में वृद्धि होने से किसान व आम जन परेशान हैं. दरवे भदौर पंचायत सामाजिक कार्यकर्ता रामानंद सिंह ने बताया कि किसानों द्वारा रोपाई की गयी धान का पौधा लगभग 60 से 70 प्रतिशत पानी में डूब कर बर्बाद हो चुका है. वहीं टाल से बहने वाली नदियां का जलस्तर ऊंचा होने के कारण खेतों से पानी की निकासी नहीं हो पा रही है. प्रखंड प्रमुख का कहना है प्रभावित पंचायतों में चकजलाल, खुशहालचक, दरवे भदौर, बरूआने बथोई, अजगरा बकावां, कोन्दी, बिहारी विगहा व डभावां शामिल हैं. अनुमंडल पदाधिकारी चंदन कुमार व सीओ रंजन कुमार बैठा ने शनिवार को संयुक्त रूप से प्रभावित क्षेत्र का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया और जमीनदारी बांधों का निरीक्षण किया. वहीं राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ कार्यकर्ता रण विजय सिंह ने सरकार से अविलंब फसल क्षति मुआवजा किसानों को देने की मांग की है.
मुसलाधार बारिश के चलते टाल क्षेत्र में डूबी धान की फसल
बाढ़. लगातार कई दिनों से हो रही मुसलाधार बारिश के चलते एक तरफ गंगा नदी का जलस्तर धीरे-धीरे बढ़ने लगा है. वहीं दूसरी तरफ ग्रामीण क्षेत्र में बाढ़ के टाल क्षेत्र के महाने नदी का जलस्तर बढ़ जाने से सडकटी सैदपुर पंचायत के कई इलाके में धान की फसल पूरी तरह से जलमग्न हो गयी है. वहीं नदी का जलस्तर लगातार बढ़ने के चलते कई विद्यालय और ग्रामीण सड़क भी अब चपेट में आने लगी है. जिसके चलते ग्रामीण की परेशानी बढ़ गयी है. सबसे ज्यादा परेशानी किसान तबके के लोगों को मवेशी के लिए चारा की उत्पन्न हो गयी है. हालांकि अभी तक प्रशासनिक स्तर पर इन इलाकों का जायजा नहीं लिया गया है ताकि प्रभावित किसानों को उसका वास्तविक मुआवजा मिल सके.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है