सुबोध कुमार नंदन, पटना : देशभर के सार्वजनिक व निजी बैंकों में करीब 67,004 करोड़ रुपये निष्क्रिय खातों (अनक्लेम्ड डिपॉजिट्स ) में जमा हैं, जिन्हें अब तक कोई ग्राहक, नॉमिनी या कानूनी वारिस क्लेम नहीं कर पाया है. वहीं, बिहार की बैंक शाखाओं में लगभग 2600 करोड़ रुपये निष्क्रिय खातों में जमा हैं, जिनका 10 वर्षों से कोई उपयोग नहीं हो रहा है. इन खातों पर अब तक किसी खाताधारक या उनके वारिस ने दावा नहीं किया है. ऐसे खातों व जमाराशि को सही दावेदार तक पहुंचाने के लिए रिजर्व बैंक ने निर्देश जारी किये थे. देशभर में इस राशि में सबसे बड़ा हिस्सा स्टेट बैंक का है, जिसमें 19,329.92 करोड़ रुपये बिना दावे के पड़े हैं. इसके बाद पीएनबी में 6,910.67 करोड़ रुपये और केनरा बैंक में 6,278.14 करोड़ रुपये अनक्लेम्ड हैं. प्राइवेट बैंकों में करोड़ों रुपये का पैसा वर्षों से छुआ नहीं गया है.
कहां चला जाता है पैसा
बैंक अधिकारियों ने बताया कि अगर किसी बचत खाते, चालू खाते या फिक्स्ड डिपॉजिट में 10 साल तक कोई लेन-देन नहीं होता है, तो रिजर्व बैंक के अनुसार खातों की रकम शिक्षा व जागरूकता कोष में ट्रांसफर कर दी जाती है, जिसे रिजर्व बैंक मैनेज करता है. लेकिन गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों पर यह नियम लागू नहीं होता. बैंकों को हर साल उन खातों की समीक्षा करनी होगी, जिनमें एक साल से कोई लेन-देन नहीं हुआ है. साथ ही खाताधारकों को लिखित सूचना भेजनी होगी. अगर खाताधारक जवाब देते हैं, तो उनका खाता एक साल और सक्रिय माना जायेगा.
ऐसे खोजें अपना पैसा
अगर आप भी सोच रहे हैं कि कहीं आपका या आपके परिवार का कोई पैसा यूं ही पड़ा न हो, तो रिजर्व का उद्गम पोर्टल मदद कर सकता है. इस वेबसाइट पर जाकर आप नाम, जन्मतिथि व अन्य जानकारी डाल कर चेक कर सकते हैं कि आपके नाम पर कोई अनक्लेम्ड डिपॉजिट तो नहीं है. एक जुलाई, 2025 तक 8.6 लाख से ज्यादा लोग इस पोर्टल का इस्तेमाल कर चुके हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है