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Patna News : खेमका व अशोक पहले से थे परिचित, जमीन विवाद में हत्या के मिले सबूत

पुलिस ने अशोक साव के उदयगिरि अपार्टमेंट स्थित फ्लैट से करीब तीन दर्जन से अधिक जमीन रजिस्ट्री व एग्रीमेंट के कागजात बरामद किये हैं, जिसकी कीमत करोड़ों रुपये है.

संवाददाता, पटना: कारोबारी गोपाल खेमका हत्याकांड को पुलिस ने पूर्व नियोजित साजिश बताया है. वह इस घटना को जमीन विवाद का कारण मान रही है. हालांकि, मामले का पूर्ण खुलासा होना बाकी है. पुलिस ने बुद्धमार्ग में उदयगिरि अपार्टमेंट स्थित अशोक साव के फ्लैट से करीब तीन दर्जन से अधिक जमीन रजिस्ट्री व एग्रीमेंट के कागजात बरामद किये हैं. इन जमीन की कीमत करोड़ों रुपये है. लेकिन, किस जमीन के लिए यह हत्या की गयी, यह फिलहाल स्पष्ट नहीं हो पायी है. इसके लिए अशोक साव के मोबाइल फोन, बरामद जमीन के कागजात के साथ ही गोपाल खेमका के मोबाइल फोन, लैपटॉप आदि की जांच की जा रही है. साथ ही पुलिस बांकीपुर क्लब के पूर्व में हुए विवाद के बिंदु पर भी जांच कर रही है.

एडीजी ने साजिश की कॉल रिकॉर्डिंग सुनायी

एडीजी कुंदन कृष्णन ने अशोक साव का एक ऑडियो सुनाया. यह ऑडियो अशोक साव के मोबाइल फोन से पुलिस को मिला है. इसमें अशोक साव की किसी से तीखी बहस और गाली-गलौज हो रही है. इसमें खेमका का भी जिक्र आया है. ऑडियो और कॉल डिटेल से इस बात की पुष्टि हुई है कि दोनों के बीच जमीन को लेकर तकरार थी. इधर, डीजीपी ने बताया कि अशोक साह का आपराधिक इतिहास रहा है. उसका नाम शंकर टेकरीवाल व मनोज कमलिया हत्याकांड में भी आ चुका है. साथ ही बिहारशरीफ में कोल्ड स्टोरेज मालिक हत्याकांड में जेल भी जा चुका है. डीजीपी ने बताया कि गोपाल खेमका और अशोक साह एक-दूसरे को पहले से जानते थे. इस बिंदू पर भी जांच की जा रही है कि संभवत: अशोक साह ने कारोबारी प्रतिस्पर्धा और निजी नाराजगी के कारण खेमका की हत्या करा दी है.

बेटे की हत्या से जोड़ कर भी जांच

डीजीपी विनय कुमार ने बताया कि 2018 में खेमका के बेटे गुंजन की हत्या से भी भी इस मामले को जोड़ कर अनुसंधान किया जा रहा है. उस केस में चार अभियुक्तों पर चार्जशीट दाखिल हुई थी. मामला एक बिस्किट फैक्ट्री की जमीन खरीद से जुड़ा था. उस केस में अगली सुनवाई 15 जुलाई को है. उन्होंने कहा कि दोनों हत्याओं के तार आपस में जुड़े हो सकते हैं.

स्वेच्छा से खेमका ने हटाया था अंगरक्षक

डीजीपी ने बताया कि गोपाल खेमका को अंगरक्षक दिया गया था, पर जून, 2024 में स्वेच्छा से अंगरक्षक को लौटा दिया था. जुलाई में समिति ने अंगरक्षक मुहैया कराने का आदेश दिया था, लेकिन गोपाल खेमका ने मना कर दिया था.

स्कूल फीस के रूप में सुपारी में मिले 45 हजार रुपये को कर दिया था जमा

डीजीपी ने बताया कि शूटर उमेश यादव को बेटी की फीस भरनी थी. 45 हजार रुपये उसने स्कूल में जमा करा दिये थे. सुपारी में मिले बाकी पैसे बरामद कर लिये गये हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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