Mangal Pandey: पटना. मुजफ्फरपुर में हुई दलित नाबालिग बच्ची के साथ बलात्कार और उसके बाद पटना चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल (पीएमसीएच) में उसके उपचार में हुई लापरवाही के कथित आरोपों के बीच बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने मंगलवार को पूरे मामले पर संज्ञान लिया. पूरे मामले में मंगल पांडेय ने कहा कि घटना को लेकर एक ओर जहां पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की है, वहीं दूसरी ओर उसके उपचार से जुड़े मामले में भी उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा की है. पूरे मामले की जांच के लिए तीनों डायरेक्टर इन चीफ के नेतृत्व में जांच समिति गठित की गई है. यह समिति मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच और पटना के पीएमसीएच में सारी जानकारी लेगी. जो भी इस मामले में दोषी होंगे उन पर कार्रवाई होगी.
15 दिनों के भीतर स्पीडी ट्रायल
मंगल पांडेय ने कहा कि मामले के आरोपित की मुजफ्फरपुर में गिरफ्तारी हुई है. मुजफ्फरपुर एसएसपी ने बतया है कि 15 दिनों के भीतर स्पीडी ट्रायल चलाकर सख्त सजा दिलाई जाएगी. मंगल पांडेय ने कहा कि वे पटना से बाहर थे. रात में लौटने के बाद ही उन्होंने पूरे मामले की जानकारी ली. साथ ही तीनों डायरेक्टर इन चीफ डॉ आरएन चौधरी, डॉ बीके सिंह और डॉ प्रमोद कुमार के नेतृत्व में जांच टीम गठित की गई है. एक टीम मुजफ्फरपुर जाएगी और एक टीम पटना में पूरे घटनाक्रम की जानकारी लेगी. रिपोर्ट के आधार पर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी.
बिहार में अराजकता और असंवेदनशीलता
मुजफ्फरपुर की बलात्कार पीड़िता की पीएमसीएच में मौत हो गई थी. बच्ची को जब मुजफ्फरपुर से पीएमसीएच पटना लाया जाता है तो उसे करीब चार घंटे तक एंबुलेंस में ही रखा जाता है, उसे अस्पताल में बेड उपलब्ध नहीं कराया जाता है. इस कारण बिहार की नीतीश सरकार विपक्ष के निशाने पर है. वहीं मंगल पांडेय के इस्तीफे की मांग भी की जा रही है. कांग्रेस ने जहां इस मामले में प्रदर्शन किया. वहीं राजद की ओर से भी इसे राज्य की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था का उदाहरण बताया. जन सुराज ने भी इसे बिहार में बढ़ती अराजकता और सरकार की असंवेदनशीलता कहा.
विपक्ष हुआ हमलावर
विपक्ष का आरोप है कि पहले बच्ची के साथ दुष्कर्म होता है, जिससे पता चलता है कि सरकार का राज्य की कानून व्यवस्था पर कोई नियंत्रण नहीं है और फिर समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण बच्ची की मौत हो जाती है, जिससे स्वास्थ्य विभाग की हकीकत जनता के सामने आ गई है. सबसे आश्चर्य की बात यह है कि बच्ची जब पीएमसीएच पटना पहुंचती है तो उसे करीब चार घंटे तक एंबुलेंस में ही रखा जाता है, उसे अस्पताल में बेड उपलब्ध नहीं कराया जाता है.
Also Read: Folk Band: मिथिला का ‘फोक बैंड’ रसनचौकी, इन पांच वाद्ययंत्रों पर कभी नहीं बजता शोक धुन