Money Laundering: कैलाशपति मिश्रा/ पटना. रेलवे दावा न्यायाधिकरण घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आठ करोड़ से अधिक की 24 संपत्तियां जब्त की है. वहीं, इस मामले में आरोपियों को दोषी ठहराने की मांग को लेकर कोर्ट में अभियोजन शिकायत भी दायर किया है. ईडी ने जिस लोगों को दोषी ठहराने की मांग की है कि उनमें वकील विद्यानंद सिंह, परमानंद सिन्हा, रिंकी सिन्हा, अर्चना सिन्हा, विजय कुमार, निर्मला कुमार और मे. हरजिग बिजनेस एंड डेवलपमेंट प्राइवेट लि. के नाम हैं.
सीबीआई की प्राथमिक के आधार पर ईडी कर रही है जांच
ईडी ने रेलवे के अज्ञात लोगों की मृत्यु दावा मामलों में बड़े पैमाने पर अनियमितता और आपराधिक मामले में सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर अपनी जांच शुरू की थी. प्राथमिकी में कहा गया था कि मृत्यु से जुड़े रेलवे दावों में घपला किया गया और दावेदारों को रेलवे से मिली राशि में से केवल एक हिस्सा ही दावेदारों को दिया गया. जबकि बड़ा हिस्सा साजिशकर्ताओं ने हड़प लिया. जांच में यह बात सामने आयी कि एडवोकेट विद्यानंद सिंह और उनके वकीलों की टीम ने 900 से अधिक दावों का निपटारा किया. जिसे जज आरके मित्तल द्वारा पारित किया गया था.
वकील की टीम ने दावेदारों की जानकारी के बिना बैंक खाते खोले
ईडी ने पाया कि विद्यानंद सिंह और उनके वकीलों की टीम ने दावेदारों की जानकारी के बिना उनके बैंक खाते खोले और उनका संचालन किया. उन्होंने रेलवे से प्राप्त दावा राशि को अपने खातों में या नकद निकालने के लिए दावेदारों के हस्ताक्षर और अंगूठे के निशान का इस्तेमाल किया. दावेदारों के बैंक खाते से वकीलों के बैंक खातों में 10.27 करोड़ रुपये ट्रांसफर किये गये. यही नहीं, वकीलों की पत्नियों ने अपराध की इस आय को छिपाने के लिए एक कंपनी के नाम पर 24 अंचल संपत्तियां अर्जित की, जो पटना, नालंदा, गया और नयी दिल्ली में स्थित हैं. इस मामले में इसी वर्ष जनवरी महीने में इडी की टीम ने पटना, नालंदा में छापा मारा था. इसमें वकील विद्यानंद सिंह, परमानंद सिन्हा और विजय कुमार को गिरफ्तार किया गया और वर्तमान में सभी न्यायिक हिरासत में हैं.
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