संवाददाता,पटना
महिला सशक्तीकरण का नायाब उदाहरण पुलिस महकमा में देखने को मिल रहा है. पुलिस बल में सभी स्तर पर महिला कर्मियों की संख्या बढ़कर करीब 30 फीसदी हो गयी है. इसके मद्देनजर इनकी जरूरत के हिसाब से फोकस तरीके से निरंतर आधारभूत सुविधाएं विकसित की जा रही हैं. थाना, बैरक से लेकर अन्य कार्यालयों में इनके आवास से लेकर सभी मूलभूत सुविधाएं विकसित की जा रही हैं. वहीं, महिला सिपाहियों के प्रशिक्षण के लिए भी अलग से व्यवस्था की जा रही है. अब तक महिला पुलिसकर्मियों के लिए 1029 यूनिट बैरक का निर्माण कार्य कराया गया है. राजगीर स्थित बिहार पुलिस अकादमी परिसर में चार हजार क्षमता वाला बैरक समेत अन्य आधारभूत संरचना का निर्माण कराया गया है. इसमें दो हजार महिलाओं के लिए विशेष तौर पर व्यवस्था की गयी है. इसके अतिरिक्त महिला पुलिसकर्मियों के लिए 1791 यूनिट बैरक का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है. साथ ही चार जिलों में महिला पुलिस थाना का निर्माण कार्य भी तकरीबन पूरा हो गया है. डेहरी स्थित बीएसएपी (बिहार विशेष सहायक पुलिस)-2 और मुजफ्फरपुर स्थित बीएसएपी-6 में विशेष महिला प्रशिक्षण केंद्र का निर्माण कराया जा रहा है. राज्य में सभी नवनिर्मित बैरक, पुलिस लाइन और थानों में महिलाओं के रहने के लिए विशेष तौर से व्यवस्था की जा रही है. पुलिस महकमा में अब निर्मित होने वाली सभी आधारभूत संरचनाओं के विकास में महिलाओं की मूलभूत सुविधाओं का खासतौर से ध्यान रखा जा रहा है. सासाराम स्थित महिला बटालियन में विशेष महिला प्रशिक्षण केंद्र में बुनियादी सुविधाओं का निर्माण किया गया है. पुलिस पदाधिकारियों या कर्मियों के लिए 575 यूनिट आवासीय भवन का निर्माण कार्य कराया जा रहा है. इसमें भी महिला कर्मियों के लिए प्राथमिकता के आधार पर व्यवस्था की गयी है.
हाल में बहाल हुए 30 हजार से अधिक नये सिपाहियों के रहने के लिए बैरक का निर्माण कार्य चल रहा है.
इसमें करीब आधी संख्या महिलाओं की है, जिनके लिए अलग से रहने, शौचालय समेत अन्य मूलभूत सुविधाएं विकसित की जा रही हैं. राज्य में मौजूद करीब 1300 थानों में महिला और पुरुष के लिए अलग-अलग शौचालय एवं स्नानागार तैयार कराये गये हैं. कुछ थानों को छोड़कर तकरीबन सभी में इसका निर्माण पूरा हो गया है.
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