संवाददाता, पटना बिहार में शहरीकरण की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए राज्य कैबिनेट ने मंगलवार को ‘बिहार शहरी आयोजना स्कीम नियमावली 2025’ को मंजूरी दे दी. यह नियमावली अब राज्य में नए ग्रीनफील्ड और सैटेलाइट टाउनशिप के विकास का आधार बनेगी. यह स्कीम बिहार में जमीन अधिग्रहण के पारंपरिक मॉडल को बदलेगी और निजी भूमि स्वामियों को विकास में सहभागी बनाएगी. यानि अब सरकार अब जमीन का अधिग्रहण किए बिना 11 शहरों में दिल्ली- नोयडा जैसी टाउनशिप विकसित कर सकेंगी. टाउनशिप के लिए जो लेाग अपनी जमीन देंगे,उनको पैसे की जगह 55 फीसदी विकसित जमीन वापस मिलेगी. उसे वह अपने अनुसार बिक्री कर सकेंगे. सरकार केवल 15 फीसदी जमीन को अपने विक्रय के लिए रखेगी. 30 फीसद में सड़क, पार्क आदि सामाजिक संरचनाओं का निर्माण किया जाएगा. इस योजना के तहत सबसे पटना में टाउनशिप विकसित की जायेगी. इसकी तैयारी भी पूरी कर ली गयी है. नगर विकास एवं आवास विभाग के मंत्री जिवेश कुमार ने कैबिनेट के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए विस्तार से ‘बिहार शहरी आयोजना स्कीम नियमावली 2025’ के बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि, राज्य के शहरी और अर्द्ध-शहरी इलाकों का नियोजित विकास के लिए फिलहाल 11 शहरों में टाउनशिप विकसित करने की योजना है. इसमें सभी प्रमंडलीय मुख्यालय शामिल हैं. राज्य के 43 शहरों में मास्टर प्लान का काम जारी है. लैंड पुलिंग मॉडल पर आधारित है योजना इस योजना के तहत भूमि मालिक अपनी ज़मीन सरकार को नहीं बेचेंगे, बल्कि योजना में योगदान के रूप में देंगे. बदले में उन्हें उसी क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं से युक्त विकसित भूखंड लौटाए जाएंगे. इस मॉडल में किसी तरह की जबरन अधिग्रहण की आवश्यकता नहीं होगी. योजना का सारा व्यय पात्र निजी डेवलपर वहन करेंगे. सरकार पर वित्तीय भार नहीं पड़ेगा. मंत्री ने बताया कि यह नीति भूमि मालिकों को क्षतिपूर्ति के बजाय अवसर देती है. न्यूनतम 100 हेक्टेयर क्षेत्र में विशेष थीम वाले टाउनशिप बसाने की योजना है. कुछ मामलों में यह सीमा 10 हेक्टेयर तक भी लाई जा सकती है. टाउनशिप में आवासीय, वाणिज्यिक, औद्योगिक उपयोग के लिए क्षेत्र तय होंगे. जमीन मालिकों को सड़क किनारे प्लॉट मिलेगा : नगर विकास एवं आवास विभाग के सचिव अभय कुमार सिंह ने कहा कि इस मॉडल से उन क्षेत्रों में भी विकास संभव होगा जो अभी ””लैंड-लॉक्ड”” हैं और जहां पहुंच की कोई व्यवस्था नहीं है. भूमि पुनर्गठन इस तरह से होगा कि मालिकों को सड़क किनारे प्लॉट मिलेगा और एफएआर के आधार पर उन्हें ज्यादा निर्मित क्षेत्रफल की अनुमति दी जाएगी. विवादों के समाधान के लिए विशेष ट्रिब्यूनल और रिजॉल्यूशन मैकेनिज्म की व्यवस्था की गयी है. हर विस क्षेत्र में होगी डिजिटल लाइब्रेरी नीतीश सरकार ने प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों के हक में भी बड़ा निर्णय लिया है.मंत्रिमंडल ने सूचना प्रावैधिकी विभाग की मुख्यमंत्री डिजिटल लाइब्रेरी योजना के प्रस्ताव को स्वीकृति दी है. इस परियोजना पर 94.50 करोड़ से अधिक की राशि खर्च होगी. डॉ सिद्धार्थ ने बताया कि डिजिटल तकनीक के माध्यम से लाइब्रेरी की सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री डिजिटल लाइब्रेरी योजना का क्रियान्वयन किया जाएगा. इन डिजिटल लाइब्रेरी में जेईई, नीट, क्लैट जैसे महत्वपूर्ण परीक्षाओं के लिए ऑनलाइन कोर्स मटेरियल भी उपलब्ध कराया जाएगा.रोजगारपरक शिक्षा व सरकारी नौकरी संबंधी जानकारी भी डिस्ट्रिक्ट एम्प्लॉयमेंट ऑफिस व जॉब पोर्टल्स से प्राप्त कर सकेंगे. अन्य राज्यों से पीपीपी मोड में चलेंगी बसें राशन दुकानों को भी मिलेगा अवकाश विभिन्न राज्यों से बिहार के लिए पीपीपी मोड में अंतरराज्यीय बस सेवा शुरू की जाएगी. योजना के अंतर्गत त्योहारी समय में प्रति सीट 150 रुपये और ऑफ सीजन में 300 रुपये प्रति सीट प्रोत्साहन राशि के रूप में निजी बस संचालकों को दी जाएगी. अब राशन दुकानों पर भी अवकाश : राज्य सरकार ने पीडीएस दुकानों के संचालन को लेकर भी अहम निर्णय लिया है.अब प्रत्येक सोमवार के साथ-साथ 26 जनवरी, 15 अगस्त, 2 अक्टूबर, होली, छठ पूजा, दुर्गा पूजा (नवमी और दशमी), और ईद के दिन उचित मूल्य की दुकानों को बंद रखने की अनुमति दी गयी है.
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