विधि संवाददाता, पटना : पटना हाइकोर्ट ने पटना के विभिन्न क्षेत्रों में अतिक्रमण को अदालती आदेश के बाद भी नहीं हटाये जाने पर नाराजगी जाहिर की है. कोर्ट ने पटना के डीएम को निर्देश दिया कि वह शहर में अतिक्रमण को आठ सप्ताह के अंदर हटवा दें. जस्टिस पीबी बजानथ्री की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने डाॅ अमित कुमार सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि इस अवधि में अतिक्रमण हटाने का काम प्रभावी ढंग से नही हुआ, तो केंद्र सरकार को इस मामले को सौंपा जा सकता है. यह मामला साल 2019 का है, जब जस्टिस ज्योति शरण की खंडपीठ ने सरकारी भूमि पर से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था. लेकिन, इसका पालन अब तक नहीं हुआ. इसके बाद डाॅ अमित कुमार सिंह ने पटना हाइकोर्ट में अवमाननावाद दायर किया. कोर्ट को बताया गया कि मौजा खलीलपुर थाना संख्या 54 में सरकारी जमीन पर असामाजिक तत्वों ने अवैध कब्ज़ा कर रखा है. वहां पर वे हर दिन शराब पीते हैं. शेवरीनगर में सरकारी जमीन पर तो अतिक्रमण है ही, शराब भी मिलती है. पाटलिपुत्र स्टेशन के पश्चिम, आशियाना मोड़ से दीघा तक राजापुर में ज्ञानगंगा बुक स्टॉल से श्यामल हॉस्पिटल तक बड़े पैमाने पर अतिक्रमण है.
दीघा में सड़क किनारे लगे ठेलों पर हुई कार्रवाई
बुधवार को नूतन राजधानी अंचल में विकास भवन से शेखपुरा मोड़ तक और हार्डिंग रोड 15 नंबर पुल के नीचे नाले पर से अतिक्रमण हटाया गया. इस दौरान दो ठेले व बांस जब्त किया गया व 5500 रुपये जुर्माना वसूला गया. वहीं पाटलिपुत्र अंचल में दीघा पुल के नीचे से सड़क पर ठेला लगानेवालों के खिलाफ कार्रवाई हुई.
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