Patna AIIMS: पटना एम्स के डॉक्टरों ने अचानक हड़ताल कर दी है. विधायक चेतन आनंद को लेकर दुर्व्यवहार का मामला गहराता जा रहा है, जिसके बाद बवाल बढ़ गया है. डॉक्टरों ने आज से आपात सेवाएं ठप कर दी है. जिसके बाद परेशानी मरीजों को झेलनी पड़ रही है. एम्स पटना में इलाज कराने पहुंचे विधायक और उनके सुरक्षाकर्मियों की ओर से रेजिडेंट डॉक्टरों और सुरक्षा गार्ड पर कथित हमले के विरोध में रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) ने बड़ा कदम उठाया है.
रेजिडेंट डॉक्टर्स ने क्यों लिया फैसला?
डॉक्टरों ने सभी वैकल्पिक (इलेक्टिव) सेवाओं को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया है. रेजिडेंट डॉक्टर्स की तरफ से पत्र जारी किया गया जिसमें कहा गया कि यह निर्णय उन्होंने मजबूरी में लिया है, क्योंकि घटना के बाद अब तक न तो एफआईआर दर्ज की गई है और न ही प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई की गई है.
क्या है मामला?
30 जुलाई की रात करीब 11 बजे एम्स पटना के ट्रॉमा सेंटर में शिवहर के विधायक चेतन आनंद, उनकी पत्नी डॉ. आयुषी सिंह और उनके सुरक्षाकर्मी कथित तौर पर जबरन घुस आए. रेजिडेंट डॉक्टर्स का आरोप है कि, विधायक पक्ष ने वहां तैनात सुरक्षा गार्ड के साथ दुर्व्यवहार किया, डॉक्टरों को जान से मारने की धमकी दी और अस्पताल परिसर में हथियार लहराया. एक सुरक्षा गार्ड को कथित तौर पर बंदूक की बट से मारा गया जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया.
डॉक्टर्स ने लगाए गंभीर आरोप
रेजिडेंट डॉक्टर्स ने कहा कि यह न केवल अस्पताल की सुरक्षा पर सवाल है, बल्कि स्वास्थ्यकर्मियों के सम्मान और जान की भी बात है. उनका कहना है कि इस हमले के बाद से अस्पताल में कार्यरत डॉक्टरों और कर्मियों में भय और असुरक्षा का माहौल है.
डॉक्टरों ने प्रशासन के सामने चार प्रमुख मांगें रखी हैं –
- विधायक चेतन आनंद, डॉ. आयुषी सिंह और उनके सुरक्षाकर्मियों के खिलाफ तत्काल एफआईआर दर्ज हो.
- अस्पताल परिसर में पर्याप्त और स्थायी सुरक्षा बल की तैनाती हो.
- अस्पताल प्रशासन इस घटना की सार्वजनिक निंदा करे और लिखित आश्वासन दे.
- स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिए मजबूत और स्थायी सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू किया जाए.
” जान और सम्मान के साथ कोई समझौता नहीं”
डॉक्टरों ने कहा कि वे मरीजों की सेवा को प्राथमिकता देते हैं, लेकिन जान और सम्मान के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता. यदि अस्पताल परिसर में ही डॉक्टर असुरक्षित हैं तो काम करना असंभव है. ऐसे में यह मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है और यदि समय रहते प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की, तो स्वास्थ्य सेवाओं पर इसका गंभीर असर पड़ सकता है.