बिहार में एक जज का फैसला पटना हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया और उनके आदेश को आपराधिक प्रक्रिया संहिता का घोर उल्लंघन माना है. मामला एससी-एसटी कोर्ट से जुड़ा है. अदालत के विशेष न्यायिक पदाधिकारी को कानून की जानकारी का अभाव बताते हुए हाईकोर्ट ने उनका पावर वापस ले लिया और जज को ट्रेनिंग पर भेजने का आदेश दिया है. रोहतास जिले के एक मामले में हाईकोर्ट ने ये फरमान जारी किया है.
जज के आदेश को हाईकोर्ट ने रद्द किया
रोहतास जिले के करगहर थाना कांड संख्या 31/2023 में दर्ज गंभीर आपराधिक मामले में आरोपी को बिना किसी वैधानिक प्रक्रिया के छोड़े जाने को हाईकोर्ट ने काफी गंभीरता से लिया है. पटना हाईकोर्ट ने इसे आपराधिक प्रक्रिया संहिता का घोर उल्लंघन माना और एससी-एसटी कोर्ट के विशेष न्यायिक पदाधिकारी द्वारा दिए गए आदेश को रद्द कर दिया.
ALSO READ: E-Voting: मोबाइल के जरिए वोटिंग का प्रयोग बिहार में कितना सफल रहा? मतदान प्रतिशत दे रहा बड़ा संकेत
क्रिमिनल पावर को वापस लिया, ट्रेनिंग में भेजने का दिया आदेश
न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकलपीठ में मामले की सुनवाई हुई. संदेश्वर कुमार दास के द्वारा दायर किए हुए आपराधिक याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यह आदेश दिया. कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि संबंधित न्यायिक अधिकारी को सुसंगत कानून व गिरफ्तारी और जमानत से जुड़े प्रावधानों की जानकारी नहीं है. कोर्ट ने तत्काल प्रभाव से सासाराम कोर्ट के विशेष न्यायाधीश एससी-एसटी के क्रिमिनल पावर को वापस लेते हुए उन्हें बिहार न्यायिक अकादमी में ट्रेनिंग लेने का निर्देश दिया.
आरोपी को पकड़कर फिर से लाने का फरमान
सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि ऐसे पदाधिकारी को बिना प्रशिक्षण दिए विशेष अदालत का न्यायाधीश बनाना गलत है. न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की पीठ ने अनुसंधानकर्ता को निर्देश दिया कि आरोपी को पकड़कर फिर से कोर्ट में पेश करे.
क्या है मामला?
दरअसल, एससी एसटी से जुड़े एक मामले में आरोपी को गिरफ्तार करके विशेष न्यायाधीश, एससी-एसटी एक्ट सासाराम के सामने पुलिस ने पेश किया था. लेकिन कोर्ट ने उस आरोपी को ना तो न्यायिक हिरासत में भजा और ना ही कोई आदेश दिया. सीधा उसे छोड़ने का निर्देश दे दिया था.