Patna High Court: पटना. बिहार के 116 अंगीभूत सरकारी कॉलेजों में प्राचार्यों की तैनाती का रास्ता साफ हो गया है. इस मामले में राज्यपाल और नवनियुक्त प्राचार्यों के बीच कानूनी लड़ाई छिड़ी थी, लेकिन महामहिम के तल्ख तेवर देख कर कोर्ट का रास्ता अख्तियार करने वालों ने याचिका वापस लेने का फैसला किया है. बिहार विश्वविद्यालय सेवा आयोग ने 116 प्राचार्यों की नियुक्ति की थी. उन्हें अलग-अलग यूनिवर्सिटी में भेजा गया था. पहले ये तय था कि यूनिवर्सिटी के वीसी नवनियुक्त प्राचार्यों की कॉलेजों में तैनाती करेंगे, लेकिन इसी बीच 16 मई को कुलाधिपति यानि राज्यपाल ने प्रिंसिपल की पोस्टिंग के लिए नयी व्यवस्था लागू करने का निर्देश दिया था. राज्यपाल ने आदेश दिया था कि लॉटरी सिस्टम के जरिये प्राचार्यों की पोस्टिंग की जाये.
हाईकोर्ट ने कुलाधिपति से मांगा था लिखित जवाब
राज्यपाल के इस आदेश के बाद कई नवनियुक्त प्राचार्यों की सेटिंग गड़बड़ा गयी थी. लिहाजा तीन प्रिंसिपल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी थी. पटना हाई कोर्ट ने बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग की ओर से चयनित प्राचार्यों की लॉटरी से कॉलेजों में तैनाती के कुलाधिपति सचिवालय के 16 मई के आदेश पर रोक लगा दिया था और अगली सुनवाई जुलाई में करने का फैसला लिया था. हाईकोर्ट ने कुलाधिपति से लिखित जवाब भी मांगा था. कुलाधिपति कार्यालय के अनुसार नवनियुक्त प्राचार्यों ने भले ही हाईकोर्ट से स्टे ले लिया था, लेकिन राज्यपाल अपने फैसले से पीछे हटने के मूड में नहीं थे. राज्यपाल की ओर से ये क्लीयर कर दिया गया था कि प्रिंसिपल की पोस्टिंग में कोई सेटिंग नहीं चलेगी और पूरी प्रक्रिया पारदर्शी होगी.
नवनियुक्त प्राचार्यों ने बदला विचार
राज्यपाल के कड़े तेवर देख नवनियुक्त प्राचार्यों ने विचार बदला है. राज्यपाल के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाली नवनियुक्त प्राचार्य और बीजेपी नेत्री सुहेली मेहता ने पत्र लिख कर याचिका वापस लेने के फैसले की जानकारी दी है. सुहेली मेहता ने बताया है कि हाईकोर्ट में दायर याचिका C.W.J.C No.-8530/2025 सुहेली मेहता एवं अन्य बनाम राज्य सरकार के याचिकाकर्ताओं (1) सुहेली मेहता (2) श्याम किशोर एवं (3) भूपन कुमार ने सर्वसम्मति से फैसला लिया है. याचिका दायक करने वालों की ओर से फैसला लिया गया है कि याचिका C.W.J.C No.-8530/2025 को ग्रीष्मावकाश के बाद पटना उच्च न्यायालय के नियमित कार्यदिवस प्रारंभ होते ही वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की जायेगी. ये फैसला इस लिए लिया गया है ताकि राज्य के अंगीभूत महाविद्यालयों में बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग के अनुशंसा से चयनित प्राचार्य की नियुक्ति की प्रक्रिया शीघ्रातिशीघ्र प्रारंभ हो सके.
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