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Patna Museum: पटनावासियों को जल्द मिलेगी नए म्यूजियम की सौगात, अगले महीने होगा ‘पटना म्यूजियम’ का उद्घाटन

Patna Museum: पटनाइट्स को बहुत जल्द ‘पटना संग्रहालय’ नये रूप में देखने को मिलेगा. रिनोवेशन का काम अब अपने अंतिम चरण में है. बिहार म्यूजियम के बाद यहां भी आपको एक छत के नीचे बिहार की समृद्ध विरासत, संस्कृति, कला और इतिहास की झलक देखने को मिलेगी. राज्य के सबसे पुराने संग्रहालयों में से एक पटना संग्रहालय में अभी गंगा और पाटली दीर्घाओं का निर्माण-कार्य चल रहा है. जबकि, यहां पहली पुरावशेष संरक्षण प्रयोगशाला बनकर तैयार हो चुकी है. उम्मीद है कि इस महीने के अंत तक दोनों गैलरियों का निर्माण पूरा हो जायेगा और अगले महीने उद्घाटन के बाद इसे आम लोगों के लिए खोल दिया जायेगा.

Patna Museum: बहुत जल्द पटना संग्रहालय नयी तकनीक की मदद से लोगों को बिहार के गौरवशाली इतिहास से रूबरू करायेगा. मुख्य संग्रहालय के पिछले भाग और नये भवन के मध्य भाग में ‘गंगा’ और ‘पाटली दीर्घा’ का निर्माण का कार्य अब अपने अंतिम चरण में है. इन दोनों दीर्घाओं में गंगा से जुड़ी जानकारी के अलावा शाहाबाद (आरा, बक्सर, कैमूर, रोहतास), सारण, समस्तीपुर, सहरसा, पूर्णिया, चंपारण और भागलपुर से जुड़े बिहार की संस्कृति, कला और इतिहास के बारे में जानकारी मिलेगी. बिहार संग्रहालय के महानिदेशक अंजनी कुमारी सिंह ने बताया कि उम्मीद है कि इस महीने के अंत तक निर्माण कार्य पूरा हो जायेगा और अगले महीने इसका उद्घाटन कर दिया जायेगा.

‘गंगा’ और ‘पाटली दीर्घा’ होगा बेहद खास

पटना संग्रहालय में आने वाले दर्शकों को ‘गंगा’ और ‘पाटली दीर्घा’ में बिहार की संस्कृति, कला और इतिहास से रूबरू होने का मौका मिलेगा. यहां दो स्कल्पचर गार्डन के अलावा ‘गंगा’ और ‘पाटली’ गैलरी का निर्माण किया गया है. यहां के पुराने भवन में लाखों वर्ष पुराने विशालकाय वृक्ष का जीवाश्म था, जिसे अब आप गंगा गैलरी में देख सकेंगे. इसके साथ ही एक ऐसी जगह भी तैयार की गयी है, जहां आप गंगा के प्रवाह को महसूस कर सकेंगे. इस दीर्घा में बिहार के सात सांस्कृतिक क्षेत्रों को दर्शाया गया है. जिसमें कारूष क्षेत्र (शाहाबाद) में राम रेखा घाट, चौसा आदि के अवशेषों और सारण क्षेत्र में प्रसिद्ध चिरांद पुरास्थल व वहां के पुरावशेषों को प्रदर्शित किया गया है. संग्रहालय के अंदर दर्शकों को प्रदर्श के पास हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में लिखित व ऑडियो – वीडियो के माध्यम से उसकी जानकारी मिलेगी.

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पाटलि दीर्घा में कई मॉडल्स किये गये हैं प्रदर्शित

पाटलि दीर्घा में चंद्रगुप्त मौर्य का होलोग्राम है, जो एआइ तकनीक से लोगों की ओर से पूछे गये सवालों का जवाब देगा. मगध की पहली राजधानी गिरिव्रज राजगीर में मिले अवशेषों को भी दर्शाया गया है. जबकि थर्ड सेंचुरी बीसी का लकड़ी परकोटा(घर) को भी दर्शाया गया है. संग्रहालय के मुख्य द्वार से प्रवेश के बाद पार्किंग क्षेत्र में बगीचे को विकसित किया गया है. इसके साथ नये भवन के दक्षिणी भाग से दर्शकों को प्रवेश मिलेगा. यहां आगंतुक सेवा केंद्र भी स्थापित किया गया है. इस भाग में कैफेटेरिया, विशिष्ट अतिथि गृह , अमानती सामान घर, अस्थायी प्रदर्शनी होगी. उत्तरी भाग में संग्रहालय के पुरावशेषों को रखने के लिए संग्रह कक्ष, संरक्षण प्रयोगशालाओं के साथ काशी प्रसाद जायसवाल शोध संस्थान के लिए कार्यालय स्थापित किया गया है.

स्कल्पचर गार्डन बनकर है तैयार

वहीं नये संग्रहालय के पीछे वाले हिस्से और पुराने संग्रहालय के आगे वाले हिस्से में कुछ खाली जगहों पर स्कल्पचर गार्डन बनाया गया है. इसमें खुदाई के दौरान मिली कई मूर्तियों को प्रदर्शित किया गया है. संग्रहालय में रिजर्व कलेक्शन में ऐसी कई मूर्तियां थीं, जिनसे बिहार के गौरवशाली इतिहास और धर्म को देखा जा सकेगा. 

स्कल्पचर गार्डन को दो भागों में बांटा गया है. पहला हिंदुइज्म और दूसरा भाग बुद्धिज्म है. इन दोनों जगहों पर 104 मूर्तियां है. हिंदुइज्म भाग में पांच हिस्सों में मूर्तियां लगायी गयी हैं, जिसमें शक्ति यानी देवियों की मूर्तियां, इसके बाद शिवलिंग जो एक यंत्र के स्वरूप में है, जिनके दायें भाग में विष्णु के अवतार, बायें भाग में सूर्य का परिवार, किनारे में ब्रह्मा-ब्रह्माणी और नाग-नागिन की मूर्तियों को शामिल किया गया.वहीं बुद्धिज्म वाले भाग में बुद्ध की प्रतिमा को केंद्र बनाकर इसके चारों तरफ देवी देवता हैं.

बिहार म्यूजियम : नयी समकालीन दीर्घा में कैनवास पर दिख रही अनुठी कलाकृतियां

हाल ही में बिहार म्यूजियम में आधुनिक और नयी समकालीन कला दीर्घा का उद्घाटन किया गया है. जहां भारत के प्रसिद्ध कलाकारों की पेंटिंग का संसार देखने रोजाना सैकड़ों लोग पहुंच रहे हैं. गैलरी में 30 समकालीन कला के नायक कलाकार रवि वर्मा, अवनींद्र नाथ टैगोर, अम ता शेरगिल, रवींद्रनाथ टैगोर और जैमिनी राय के कंटेंपरेरी आर्ट शामिल है. इसमें चार सबसे प्रसिद्ध समकालीन कला शैली अमूर्त कला, न्यूनतम कला, पॉप कला और अतियथार्थवादी कला और इसके सात रूप वास्तुकला, फिल्म, साहित्य, संगीत, चित्रकला, मूर्तिकला और रंगमंच को शामिल करने का प्रयास किया गया है.

लोगों को यह पेंटिंग आकर्षित कर रही

  1. पेंटिंग में ब्रज की भूमि में कृष्ण प्रेम में दीवानी राधा की पौराणिक छवि उनकी युवावस्था के मोहपाश में बंधी रोमांचकारी कार्यों और लीलाओं के केंद्र में हैं. इसे ढाका (अविभाजित भारत) के सुहास रॉय ने राधा को यहां एक उदास, घूरती नजर के साथ चित्रित किया है.
  2. कलिंग की लड़ाई के दौरान भीषण नरसंहार के बाद अशोक का ह्रदय परिवर्तन इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है. दिल्ली की अपर्णा गौर द्वारा बने तस्वीर में बुद्ध के लेटे हुए शरीर की आकर्षक छवि में उनके शांति का संदेश धीरे-धीरे प्रस्फुटित हो रहा है. रणभूमि का हृदय विदारक दृश्य घटाटोप अंधेरे में डूबा हुआ है. केवल तलवार की मूठ ही दिखाई दे रही है.
  3. कैनवास पर चित्र को तैल रंग से झेलम (अविभाजित भारत) के सतीश गुजराल ने बनाया है. जिसमें बिना चेहरे की एक बैठी हुई लड़की की आकृति है. उसका शरीर खोखला हो गया है. उसके पीछे दो मेमने नजर आ रहे हैं. चित्रकार ने पेंटिंग के जरिए भारत विभाजन की हिंसा व पीड़ा को चित्रित किया है.
  4. मोटे और काले मानव शरीरों का ढ़ेर एक दूसरे के ऊपर पड़े हुए हैं. सुंदरता और आनंद की जो उम्मीदें लोग कला से प्रेरित हैं, यह एक गहरे पदानुक्रमित समाज का एक मार्मिक चित्र है. दर्शकों की पेंटिंग को देखने और पढ़ने की क्षमता को चुनौती देता है. इसे ब्राह्मणबारिया (अविभाजित भारत) के धीरज चौधरी ने बनाया है.
  5. कराची (अविभाजित भारत) के नलिनी मालानी की यह तस्वीर उन अच्छी और बुरी आदर्श शक्तियों का प्रतिनिधित्व करता है जो विवादों में कैद है. यह ग्रीक से लेकर भारतीय परंपराओं तक के विहित मिथकों और आख्यानों की नारीवादी व्याख्याओं से प्रेरित है.
  6. लकड़ी के दरवाजे के साथ मेसोनाइट बोर्ड पर अंजोलि इला मेनन ने इसे चित्रित किया है. यह रोजमर्रा की जिंदगी का एक दृश्य है. एक मां और बच्चा अपनी बकरियों से घिरे हुए अर्द्ध आलिंगन अवस्था में खड़े हैं. उनके पीछे उड़ती एक अकेली पतंग शहर के घने इलाकों में एक दरवाजा खोलती है.
  7. कालीघाट प्रिंट और मुगल और राजपूत चित्रकला के अध्ययन किए गए तौर-तरीकों से रोचकता व्यंग्य से अभिप्रेरित और प्रभावित ‘बाबू और बीबी’ मध्यवर्गीय परिष्कार की तस्वीर है.

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आठ दिवसीय फोटोग्राफी प्रदर्शनी आज से

बिहार म्यूजियम में आशुतोष मेहरोत्रा की फोटोग्राफी प्रदर्शनी का उद्घाटन होना है. यह प्रदर्शनी 13 सितंबर से लेकर 20 सितंबर तक आयोजित की जायेगी. इसका उद्घाटन संग्रहालय के महानिदेशक अंजनी कुमारी सिंह करेंगे. इस मौके पर विशिष्ट अतिथि के तौर पर प्रभात प्रकाशन के निदेशक पियूष कुमार भी होंगे. इसके साथ ही बियॉन्ड द फ्रेम पुस्तक का विमोचन किया जायेगा.

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Anand Shekhar
Anand Shekhar
Dedicated digital media journalist with more than 2 years of experience in Bihar. Started journey of journalism from Prabhat Khabar and currently working as Content Writer.

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