27.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Republic Day 2025: गुमनामी की जिंदगी जी रहे नौबतपुर के स्वतंत्रता सेनानी, पढ़िए इनसे जुड़ी कहानियां

Republic Day 2025 प्रभात खबर पटना जिले के जीवित बचे नौ स्वतंत्रता सेनानियों के पास पहुंचा. उनसे उनकी कहानी जानी. आज ये उम्र के अंतिम पड़ाव पर हैं. स्वतंत्रता आंदोलन में इनमें से हर किसी ने अपने-अपने तरीके से योगदान दिया.

अजय कुमार, मसौढ़ी

Republic Day 2025 मसौढ़ी के घोरहुंआ गांव के रामचन्द्र सिंह फिलहाल अपने दो पुत्रों के साथ मसौढ़ी नगर के लखीबाग स्थित अपने मकान में रहते है,जबकि उनके दो अन्य पुत्र गांव में रहकर खेती करते है.रामचन्द्र सिंह की पत्नी का वर्ष 2013 में ही निधन हो गया है. सौ वर्ष के आसपास अपनी उम्र बता रहे रामचन्द्र सिंह को कोई बड़ी बीमारी नही है. वे किसी के सहारे या डंडा लेकर चल-फिर लेते है.

रामचंद्र सिंह बताते हैं कि मसौढ़ी व पटना में जब भी कोई धरना या प्रदर्शन होता था, उसमें वे शामिल रहते थे.उन्होने बताया कि पटना में एक बड़े आंदोलन में उन्हें अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया था. वर्ष 1924 में वे भी जेल गये थे. उन्होंने बताया कि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उन्होंने कई बार स्कूल व अन्य स्थानों पर तिरंगा फहराया और रेल पटररियां उखाड़ी.

वे हर आंदोलन का हम हिस्सा हुआ करते थे. उन्होने बताया कि साथ रहने वाले एक अन्य स्वतंत्रता सेनानी यदुनंदन सिंह पास के मुहल्ले में ही रहते थे. तीन दिन पहले उनका निधन हो गया. रामचन्द्र सिंह ने बताया कि स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान केन्द्र व राज्य सरकार के द्वारा की जाती है. इससे हमें गर्व होता है.

कई बार अंग्रेजों से भिड़ चुके थे रामजतन सिंह

धनरूआ के गोविन्दपुर बौरही निवासी रामजतन सिंह की उम्र इस समय 96 वर्ष है और वे बिगत दो सालों से पैरालिसिस ( लकवा) से पीडित हैं. इनके तीन लड़के हैं. रामजतन सिंह अपने छोटे लड़के बीरेन्द्र सिंह के साथ रह रहे हैं. वर्ष 2014 में ही इनकी पत्नी का निधन हो गया.

पैरालिसिस की बजह से उन्हे बोलने में परेशानी होती है. वे लड़खड़ाती आवाज में बताते हैं कि स्वतंत्रता आन्दोलन में छात्र जीवन में ही उतर आये थे. एक बार गांधी जी धनरूआ के बीर गांव आये थे. उनसे मिलने के बाद मन मे जज्बा आया और स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा बन गये. उस वक्त मै, कोसुत के विजय सिंह, सत्यनारायण बाबू और सोनमई के रामचन्द्र शर्मा एक टुकड़ी बना जगह-जगह रेल पटरी उखाड़ते थे. जहां तहां अंग्रेजी हुकूमत से भिड़ जाते थे.

कई बार अंग्रेजों से भिड़ चुके हैं हरीलाल

पुनपुन के बेहरामाचक निवासी 94 वर्षीय हरीलाल प्रसाद की पांच लड़कियां हैं. सभी की शादी कर चुकी है. हरीलाल प्रसाद बेटे रंजीत उर्फ बबलू के साथ अपने गांव में ही रहते हैं. हरिलाल प्रसाद की यादाश्त नही के बराबर है. वे बस इतना बताते है कि लाठी व भाला के साथ अंग्रेज सिपाही से कई बार भिड़ चुके थे और उन्हें पीछे हटने को मजबूर कर दिया था. वे जेल भी गये, लेकिन कब गये यह उन्हें याद नही. रेल पटरी उखाड़ी, स्कूल व सरकारी भवनों पर तिरंगा फहराया.

ये भी पढ़ें.. Republic Day 2025: अंग्रेजों का जुल्म देखा ही नहीं, उसे भोगा भी है जगदीश सिंह और फूलमती ने

RajeshKumar Ojha
RajeshKumar Ojha
Senior Journalist with more than 20 years of experience in reporting for Print & Digital.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel