अनुज शर्मा, पटना: नीट पेपर लीक का मास्टमाइंड जिस संजीव मुखिया को माना जाता रहा वो पिछले दिनों पुलिस के हत्थे चढ़ा. जांच एजेंसी के सामने पूछताछ में उसने कई राज उगले हैं. बिहार का सबसे बड़ा परीक्षा माफिया संजीव मुखिया 12 साल तक छात्रों के भविष्य से खेलता रहा. संजीव मुखिया का दावा है कि उसके जेब में हर परीक्षा रहती थी.
बिहार के सबसे बड़े परीक्षा माफिया का कबूलनामा
बिहार के सबसे बड़े परीक्षा माफिया संजीव मुखिया ने ईओयू के आगे जो कबूलनामा किया है उसकी जानकारी प्रभात खबर को मिली है. मिली जानकारी के मुताबिक, संजीव मुखिया ने कहा कि ‘मैंने नौकरी और दाखिला बेचने की इंडस्ट्री खड़ी की. 12 साल तक हर परीक्षा मेरी उंगलियों पर चलती थी.’
झारखंड तक फैलाया नेटवर्क
संजीव मुखिया ने कबूला है कि 2008 में खगड़िया के अमित कुमार के साथ मिलकर परीक्षा माफिया का उसने खाका तैयार किया था. कुछ ही महीने में उसका यह गिरोह बिहार के अलग-अलग जिलों समेत पड़ोसी राज्य झारखंड तक फैल गया.
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बेटे को डॉक्टर बनाने की चाहत में बन गया माफिया
संजीव मुखिया अपने बेटे शिव कुमार को डॉक्टर बनाना चाहता था. इसके लिए 2016 में उसने नीट का पेपर परीक्षा से पहले ही खरीद लिया. अमित की मदद से उसने सारा सिस्टम मैनेज किया था. 2017 में शिव पकड़ा गया लेकिन माफिया का जाल बना रहा.
रैकेट यहां भी रहा सक्रिय…
नेटवर्क सूत्रों के अनुसार, यह रैकेट एम्स,नीट, बीपीएससी, एसएससी और रेलवे तक फैला हुआ था. संजीव मुखिया के साथ इस रैकेट में अनेकों लोग हैं. 32 मोबाइल नंबर और 17 बैंक खातों को जांच एजेंसी खंगाल रही है. सीबीआई की पूछताछ के बाद संजीव मुखिया को इओयू एकबार और रिमांड पर ले सकती है.
पूरे सिस्टम को अपने कब्जे में लेकर बना परीक्षा माफिया
संजीव मुखिया ने 2012 में महादलित विकास मिशन की क्लर्क भर्ती परीक्षा में पहली बार ब्लूटूथ सेटिंग से पेपर को सॉल्व कराया था. पुलिस की छापेमारी में वो गिरफ्तार होकर जेल भी गया लेकिन उसके हौसले नहीं टूटे थे. वो अपना नेटवर्क और मजबूत करने में जुट गया. एक के बाद एक करके कई परीक्षाओं के पेपर लीक किए. 2013 में एक और केस में वो गिरफ्तार हुआ. लेकिन उसके बाद लॉजिस्टिक, स्कूल, कॉलेज, प्रेस से लेकर एग्जाम सेंटरों तक अपनी पैठ उसने बनायी और पूरे सिस्टम को अपने कब्जे में ले लिया था.