मनेर. पटना से महज 20 किलोमीटर दूर मनेर प्रखंड अंतर्गत शेरपुर पूर्वी पंचायत के शेरपुर-रामपुर 31 गांव स्थित राजकीय मध्य विद्यालय के जर्जर छत के नीचे जान जोखिम में डाल बच्चे पढ़ने को मजबूर हैं. इतना ही नहीं स्कूल परिसर में जलजमाव के बीच बच्चों को आना-जाना पड़ता है. बावजूद शिक्षा का काम जैसे-तैसे चलते रहता है. वहीं विद्यालय के कमरों के अभाव के कारण अच्छे तरीके से बच्चे ना बैठ पाते हैं और ना अच्छे से पढ़ पाते हैं. स्कूल के भवन और छत की हालत देखकर ऐसा लगता है कि कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. विद्यालय भवन के कमरे मात्र तीन और क्लास 01 से 08 तक है. जबकि बच्चों की संख्या करीब साढ़े छह सौ के करीब और 12 शिक्षक हैं. उसमें में भी साइंस के टीचर बहाल नहीं हैं, जिस कारण बच्चों की शिक्षा पर असर पड़ रहा है. इसके अलावा शौचालय की दिक्कतों का सामना बच्चों से लेकर शिक्षिका और शिक्षकों को करना पड़ता है. शौचालय के लिए मोहल्ले के लोगों के घर महिला शिक्षिका जाती हैं. शौचालय काफी नीचा होने के कारण बारिश के पानी से डूब जाता है. स्थानीय प्रदीप कुमार कुशवाहा और संतोष कुमार बताते हैं कि विद्यालय की हालत काफी जर्जर है. विद्यालय में पढ़ने के लिए अपने घर के बच्चों को भेजते हैं, लेकिन हमेशा डर लगा रहता है. विद्यालय के प्रिंसिपल कृष्ण गोपाल गुप्ता से बातचीत की गयी तो उन्होंने बताया कि विद्यालय की सभी समस्याओं के बारे में विभाग को कई बार चिट्ठी लिखी गयी, लेकिन विभाग की ओर से अब तक किसी तरह का साधन उपलब्ध नहीं कराया गया है.
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