Success Story: पटना जिले के बिहटा सहवाजपुर गांव के अर्णव मिश्रा ने बचपन में ही तबला को अपना जीवन बना लिया. आज अपनी मेहनत और समर्पण से संगीत जगत में पहचान बना रहे हैं. जहां उनकी उम्र के बच्चे क्रिकेट और वीडियो गेम में व्यस्त रहते हैं, वहीं अर्णव ने तबले को अपना प्रिय साथी बना लिया है.
प्रतिदिन चार घंटे का अभ्यास, संगीत में गहरी निष्ठा
अर्णव सिर्फ स्कूल में अच्छे अंक लाने वाले छात्र नहीं हैं, बल्कि एक अनुशासित संगीत साधक भी हैं. हर दिन चार घंटे का कठिन अभ्यास उनकी दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा है, जिससे उनकी कला में निरंतर निखार आ रहा है. उनके गुरु संतोष कुमार भी उनकी लगन और मेहनत से बेहद प्रभावित हैं.
पढ़ाई और संगीत, दोनों में उत्कृष्टता
अक्सर यह माना जाता है कि कला में निपुण होने के लिए पढ़ाई से समझौता करना पड़ता है, लेकिन अर्णव ने इस धारणा को तोड़ दिया है. वे पढ़ाई में भी उतने ही निपुण हैं जितने कि तबला वादन में. उनके स्कूल के शिक्षक भी उनकी एकाग्रता और मेहनत को सराहते हैं.
छोटी उम्र में बड़ी प्रेरणा
अर्णव मिश्रा की सफलता उन बच्चों के लिए प्रेरणा है, जो अपनी रुचियों को पहचान कर उन्हें निखारना चाहते हैं. उनकी कहानी यह साबित करती है कि अगर सही दिशा में मेहनत की जाए, तो छोटी उम्र में भी असाधारण ऊंचाइयों हासिल की जा सकती हैं.
भविष्य के बड़े सपने
अर्णव का सपना है कि वे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तबला वादन में अपनी पहचान बनाएं. उनके माता-पिता और गुरु उनके इस लक्ष्य को पाने में हर संभव सहयोग दे रहे हैं. अर्णव की यह यात्रा दिखाती है कि जब जुनून और मेहनत एक साथ चलते हैं, तो सफलता निश्चित होती है.