बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची विशेष पुनरीक्षण अभियान (SIR) का मामला गरमाया हुआ है. सोमवार को इस मामले पर सर्वोच्च न्यायालय में सुनाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने अभी एसआइआर अभियान पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. अदालत ने इस अभियान को लेकर चुनाव आयोग को कुछ निर्देश भी दिए हैं. आधार कार्ड और वोटर कार्ड को लेकर भी अदालत ने अहम निर्देश दिए. वहीं चुनाव आयोग की तरफ से पेश हुए वकील ने इसपर अपनी दलील भी पेश की.
अभियान पर अभी रोक नहीं लगेगी लेकिन…
सोमवार को एसआइआर मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि इस अभियान पर अभी रोक नहीं लगेगी. लेकिन कोर्ट ने चुनाव आयोग को यह भी कहा कि आधार कार्ड और वोटर आइकार्ड को भी स्वीकार करना जारी रखे. अदालत ने कहा कि वह निर्वाचन आयोग के द्वारा बिहार में कराए जा रहे मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण के खिलाफ दायर याचिकाओं पर हमेशा के लिए अंतिम निर्णय करेगा.
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29 जुलाई को अंतिम सुनवाई की समय-सारणी तय होगी
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई की. पीठ ने कहा कि 29 जुलाई को इस याचिका पर अंतिम सुनवाई की समय-सारणी तय की जाएगी. कोर्ट के पिछले आदेश पर भी गौर किया गया जिसमें कहा गया था कि याचिकाकर्ता अंतरिम राहत के लिए अनुरोध नहीं कर रहे थे. निर्वाचन आयोग के इस कथन पर भी अदालत ने गौर किया कि एसआइआर के लिए गणना प्रपत्र मसौदा मतदाता सूची के प्रकाशन के बाद भी जमा किए जा सकते हैं.
आधार कार्ड और वोटर कार्ड को लेकर क्या कहा
आधार कार्ड और वोटर कार्ड को लेकर शीर्ष अदालत ने कहा कि वह 10 जुलाई के आदेश से सहमत हैं. आयोग ने हलफनामे में माना है कि आधार, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड स्वीकार किए जा सकते हैं. पीठ ने यह भी कहा कि राशन कार्ड में जालसाजी की जा सकती है लेकिन आधार और मतदाता पहचान पत्र की कुछ तो विश्वसनीयता है.
अदालत की शक्ति को कम मत आंकिए…
सुप्रीम कोर्ट में हो रही सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि अदालत की शक्ति को कम मत आंकिए. हमपर भरोसा किजिए. अगर अदालत आपकी दलील से सहमत होती है और अगर कोई अवैधता पायी जाती है तो यह अदालत तुरंत सबकुछ रद्द कर देगी. निर्वाचन आयोग से अदालत ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के पहले के आदेश का अनुपालन करते हुए एसआइआर में आधार और वोटर कार्ड को स्वीकार करना जारी रखे. दोनों दस्तावेजों के प्रमाणिक होने की धारणा है.
निर्वाचन आयोग के वकील ने क्या कहा…
वहीं निर्वाचन आयोग की तरफ से जो वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी पेश हुए उन्होंने कहा कि आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है और मतदाता पहचान पत्र (वोटर कार्ड) पर भरोसा नहीं किया जा सकता. वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि निर्वाचन आयोग आधार कार्ड और वोटर कार्ड दोनों को स्वीकार कर रहा है लेकिन कुछ सहायक दस्तावेजों के साथ उसे स्वीकारा जा रहा.