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सतत जीविकोपार्जन योजना को मिली अंतरराष्ट्रीय पहचान

गरीबी उन्मूलन के लिए बिहार सरकार की सतत जीविकोपार्जन योजना (एसजेवाइ) अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना रही है.

संवाददाता,पटना गरीबी उन्मूलन के लिए बिहार सरकार की सतत जीविकोपार्जन योजना (एसजेवाइ) अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना रही है. इसी क्रम में श्रीलंका सरकार और एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) के 28 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने योजना के इमर्शन एंड लर्निंग एक्सचेंज (आइएलइ) कार्यक्रम के तहत बिहार का दौरा किया और गया जिले में चल रहे जमीनी स्तर के प्रयासों को देखा. पटना स्थित सचिवालय में आयोजित डिब्रीफिंग सत्र में बिहार सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रतिनिधिमंडल को योजना की सफलता की जानकारी दी. मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने बताया कि 2018 में शुरू हुई इस योजना से अब तक 2.1 लाख से अधिक अत्यंत गरीब परिवारों को लाभ पहुंचाया गया है. उन्होंने कहा कि यह योजना सिर्फ गरीबी हटाने का नहीं, बल्कि सामाजिक सशक्तीकरण और आत्मनिर्भरता का भी मॉडल है. सत्र को संबोधित करते हुए श्रीलंका सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव एचटीआरएन पियासेन ने बिहार मॉडल की सराहना की और कहा कि इससे प्राप्त अनुभव श्रीलंका में गरीबी उन्मूलन के प्रयासों को मजबूती देंगे. ग्रामीण विकास विभाग के सचिव लोकेश कुमार सिंह ने कहा कि बिहार के लाखों गरीब परिवारों के जीवन में इस योजना ने बदलाव लाया है. इसका मॉडल श्रीलंका जैसे देशों के लिए प्रेरणा है. वहीं विकास आयुक्त प्रत्यय अमृत ने बताया कि जीविका मॉडल पारदर्शिता, सामूहिक भागीदारी और महिलाओं की शक्ति पर आधारित है. जीविका की अपर मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी अभिलाषा कुमारी शर्मा और मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी हिमांशु शर्मा ने एसजेवाइ की उपलब्धियों पर जानकारी दी. सत्र के अंत में राजेश कुमार, विशेष कार्य पदाधिकारी, जीविका ने सभी का आभार प्रकट करते हुए कहा कि जैसे बुद्ध भारत और श्रीलंका को जोड़ते हैं, वैसे ही यह योजना गरीबी के खिलाफ साझा लड़ाई में दोनों देशों को एक मंच पर लाती है. मालूम हो कि आइएलइ कार्यक्रम जीविका, बीआरएसी इंटरनेशनल और बंधन कोन्नगर के सहयोग से संचालित किया जा रहा है. अब तक इंडोनेशिया, फिलीपींस, दक्षिण अफ्रीका और इथियोपिया जैसे देशों के प्रतिनिधि बिहार आकर इस योजना से सीख चुके हैं.

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