संवाददाता, पटना: एसी कोच का टिकट होने के बावजूद रेलवे ने यात्री को स्लीपर कोच में यात्रा कराया, अब उसको यात्री को 60 हजार रुपये मुआवजा देना पड़ेगा. जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने रेलवे की सेवा में पायी गयी गंभीर लापरवाही पर एक वरिष्ठ नागरिक को यह मुआवजा देने का आदेश दिया है. आयोग ने कहा है कि वह शिकायतकर्ता मोहम्मद शमीम को एसी कोच और स्लीपर कोच के किराए के अंतर की राशि 12 फीसदी वार्षिक ब्याज के साथ वापस करे. इसके साथ ही मानसिक पीड़ा और शारीरिक असुविधा के लिए 50,000 तथा मुकदमेबाजी खर्च के रूप में 10,000 की अतिरिक्त राशि भी भुगतान करे. शिकायतकर्ता मोहम्मद शमीम ने बताया कि उन्होंने अपनी पत्नी के साथ तीन अक्टूबर 2015 को ट्रेन संख्या 12141 (राजेंद्र नगर बिहार एक्सप्रेस) से मुंबई के लोकमान्य तिलक टर्मिनस से पटना तक 3 टियर एसी टिकट आरएसी स्थिति में बुक किया था. टिकट में बाद में एसी कोच बी1 में सीट संख्या 10 और 12 आवंटित की गयी थी.
रेल अधिकारियों को पत्र लिखा, पर समाधान नहीं
हालांकि, यात्रा के दौरान टीटीइ ने उन्हें उनकी आरक्षित एसी सीटों से हटा कर स्लीपर कोच में भेज दिया, जहां उन्हें यात्रा करनी पड़ी. शिकायतकर्ता ने इस संबंध में रेलवे के अधिकारियों को पत्र भी लिखा लेकिन कोई समाधान नहीं मिला. रेलवे की ओर से जवाब में कहा गया कि इस मामले पर पटना उपभोक्ता आयोग की क्षेत्रीय अधिकारिता नहीं है क्योंकि टिकट मडगांव से खरीदा गया था. लेकिन आयोग ने यह आपत्ति खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि चूंंकि यात्रा पटना तक की थी और पीड़ित पटना निवासी हैं, इसलिए आयोग को सुनवाई का अधिकार है. फैसले में आयोग के सदस्य रजनीश कुमार ने कहा कि रेलवे द्वारा एसी टिकट होने के बावजूद स्लीपर कोच में यात्रा कराना एक गंभीर सेवा में कमी है, विशेष रूप से जब यात्री वरिष्ठ नागरिक हों. आयोग ने अपने आदेश में कहा कि यदि 45 दिनों के भीतर आदेश का पालन नहीं किया गया तो शिकायतकर्ता 10,000 अतिरिक्त क्रियान्वयन खर्च का हकदार होगा. साथ ही रेलवे के खिलाफ उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 72 के तहत अभियोजन की प्रक्रिया भी शुरू की जा सकती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है