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मेयर पुत्र व नगर आयुक्त में ठनी

नगर निगम की 9वीं बैठक में हुए विवाद ने तूल पकड़ लिया है.

शिशिर बोले- बाउंसर जान बचाने को है, कमिश्नर ने उठाया नियम का सवालसंवाददाता, पटनानगर निगम की 9वीं बैठक में हुए विवाद ने तूल पकड़ लिया है. बैठक में तीन प्रस्तावों के विरोध में नगर आयुक्त बाहर चले गये. जिसके बाद कुछ पार्षद भी उनके साथ बाहर आये और मेयर के खिलाफ नारे लगाने लगे. इसी बीच पूर्व डिप्टी मेयर के साथ मेयर पुत्र शिशिर कुमार के बीच झड़प हो गयी. दोनों ने अपशब्दों के प्रयोग भी किये. इस पूरे घटनाक्रम के बाद पटना नगर निगम प्रशासन ने शिशिर कुमार की नगर निगम कार्यालय, बैठकों और कार्यक्रम स्थलों में उपस्थिति पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है. इस मामले पर शिशिर कुमार ने अपना पक्ष रखा. कहा कि वे निगम क्षेत्र के निवासी और पार्षद प्रतिनिधि हैं, कार्यालय में जाना उनका अधिकार है. वहीं, नगर आयुक्त अनिमेष पराशर ने अपनी सफायी में बात कही.

गलत चीजों की सभ्य समाज में कोई जगह नहीं

लोग मेरा दुश्मन हो सकते हैं, लेकिन मेरा दुश्मन सिर्फ कूड़ा है. यह बात स्वच्छता सर्वेक्षण रिपोर्ट को लेकर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में नगर आयुक्त अनिमेष कुमार पराशर ने कही. उन्होंने बताया कि पटना नगर निगम स्वच्छता अभियान में लगा हुआ है. यह अभियान दो तरह का होता है. एक तो सफाई अभियान कर ही रहे हैं. दूसरे जो गलत चीजों को सभ्य समाज में कोई जगह नहीं है. शुक्रवार की बैठक में पटना के बाहर से अपराधी बुलाये गये. उसका सत्यापन करा रहे हैं. गांधी जी का देश है. आशा करते हैं कि जल्दी सबको सनमति आये. कोई हथियार से विचार का शक्ति कम नहीं कर सकता है. लोकतांत्रिक परंपरा भी इसका कोई स्थान नहीं है. निश्चित रूप से सफाई अभियान चलता रहेगा. आयुक्त ने कहा कि मेरे लिए रामायण, बाइबल, गीता सबकुछ म्यूनिसिपल एक्ट है. उसी के प्रावधान के तहत गाइड होउंगा.

जान को है खतरा बाउंसर साथ रखना मजबूरी

नगर निगम की बैठक में हुए हंगामे को लेकर मेयर पुत्र शिशिर कुमार ने पत्रकारों से बातचीत में नगर आयुक्त अनिमेष पराशर पर गंभीर आरोप लगाये. उन्होंने कहा कि आयुक्त स्मार्ट सिटी, नगर निगम और बुडको की लगभग सभी योजनाओं में भ्रष्टाचार में लिप्त हैं. बैठक में प्रस्ताव की संपुष्टि होनी थी, लेकिन आयुक्त जानबूझकर आधे घंटे देर से पहुंचे और विरोध शुरू कर दिया. शिशिर ने कहा कि मैं निगम क्षेत्र का निवासी और पार्षद प्रतिनिधि हूं, दफ्तर जाना मेरा अधिकार है. एमेजिंग इंडिया को स्टैंडिंग कमिटी से पास किया गया था, लेकिन आयुक्त ने टर्मिनेट कर दिया. हाइकोर्ट ने एजेंसी को स्टे दे दिया और प्रसून सिन्हा केस हार गये. उन्होंने बताया कि 12 जनवरी के बाद वे कमिश्नर कार्यालय नहीं गये हैं, सिर्फ महापौर और पार्षद कार्यालय जाते हैं. शिशिर ने कहा कि मैंने डीजीपी और एसपी को पत्र लिखा है कि मेरी जान को खतरा है, इसलिए बाउंसर साथ रखता हूं. जातीय आधार पर साजिश भी की जा रही है.

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