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बाघिन ‘जमुना’ को पकड़ने में लगी वन विभाग की टीम, वनकर्मी रेडियो कॉलर का क्यों कर रहे प्रयोग

tigresses jamuna महाराष्ट्र से सिमिलिपाल बाघ अभ्यारण्य में लायी गयी तीन वर्षीय बाघिन जमुना को ‘रेडियो कॉलर’ लगाया गया है. वन विभाग इससे ही इसको ट्रैक कर रही है

tigresses jamuna ओडिशा के जंगलों से चलकर जमुना नाम की बाघिन का इन दोनों ठिकाना पुरुलिया के बांदवान में है. गत 15 दिसंबर को ओडिशा के सिमलीपाल रिजर्व फॉरेस्ट से जमुना नाम की बाघिन झारखंड के घाटशिला होते हुए पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम के जंगलों में पहुंच गयी. इसे पकड़ने के लिए वन विभाग के अधिकारियों ने लगातार प्रयास किया. लेकिन अब तक वे इस बाघिन को पकड़ नहीं पाये हैं. वन विभाग के अनुसार इन दिनों इस बाघिन का स्थान पुरुलिया जिले के बांदवान थाना इलाके के रायका पहाड़ के जंगलों में है.

पुरुलिया कंसावती दक्षिण वन विभाग के अधिकारी अंजन गुहा ने बताया कि शनिवार रात बाघिन की मौजूदगी की जानकारी पहले बांदावन थाना क्षेत्र के कुमड़ा इलाके में मिली थी. इसके बाद रविवार सुबह इसी थाना क्षेत्र के रायका पहाड़ के जंगलों में बाघिन की मौजूदगी का पता चला. इसे पकड़ने के लिए वन विभाग की 15 सदस्यों की एक विशेष टीम बनायी गयी है. जिसमें ओडिशा सिमलीपाल रिजर्व फॉरेस्ट के सदस्य, सुंदरवन वन विभाग के सदस्य एवं पुरुलिया वन विभाग के सदस्य एवं अधिकारी शामिल हैं.

बाघिन का कॉलर आइडी लगा होने के कारण यंत्र के माध्यम से उसकी अवस्था का पता किया जा रहा है. इस बीच गांव वालों को सावधान किया गया है एवं पूरे इलाके में वन विभाग के कर्मचारी पहरा दे रहे हैं. जंगल के बीच दो पिंजरे लगाये गये हैं. जिसमें जानवरों को रखा गया है ताकि बाघिन को फंसाया जा सके. इसके अलावा वन विभाग के कुछ प्रशिक्षित लोग हैं जिन्हें इस बाघिन को देखते ही उसे बेहोश करने के लिए परामर्श दिया गया है. पूरी रात जंगल के विभिन्न क्षेत्रों में वन विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी तैनात रहेंगे. इसके लिए कई स्थानों पर बेस कैंप भी बनाये गये हैं. उम्मीद की जा रही है कि जमुना को पकड़ कर उसे ओडिशा के उसके मूल स्थान में भेजा जा सकेगा. 

वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि ओडिशा के सिमिलिपाल से भटकने के बाद बाघिन ने कम से कम 50 किलोमीटर की दूरी तय की थी, लेकिन बाघों के लिए ऐसा व्यवहार सामान्य है जो नये क्षेत्र की तलाश में कई किलोमीटर तक भटकते हैं. 

राज्य के वरिष्ठ वन अधिकारी ने बताया: संभवतः पड़ोसी राज्यों के वन क्षेत्र बाघिन के लिए गलियारा बन गये हैं और वह एक नये क्षेत्र में जाने का प्रयास कर रही है. हम उसे उसी रास्ते से सिमिलिपाल ले जाने के लिए काम कर रहे हैं या अगर वह पकड़ी जाती है तो उसे ओडिशा के बाघ अभ्यारण में वापस छोड़ दिया जायेगा. 

रेडियो कॉलर से किया जा रहा ट्रैक

पश्चिम बंगाल के मुख्य वन्यजीव वार्डन देबल रॉय ने बताया कि महाराष्ट्र से सिमिलिपाल बाघ अभ्यारण्य में लायी गयी तीन वर्षीय बाघिन को ‘रेडियो कॉलर’ (जानवरों की गतिविधियों पर नजर रखने वाला उपकरण) लगाया गया है और फिलहाल वह पुरुलिया जिले के बांदवान इलाके में है. इससे पहले बाघिन पड़ोसी राज्य झारखंड से पश्चिम बंगाल पहुंची थी और झारग्राम तथा पश्चिम मेदिनीपुर जिले में घूमते हुए देखी गयी थी.

यह सभी जंगलमहल क्षेत्र के वन क्षेत्र हैं. सिमिलिपाल से एक और बाघिन भटक गयी थी. और उसे तीन पड़ोसी राज्यों के वन्य गलियारे में देखा गया था. राय से जब पूछा गया कि क्या उक्त बाघिन अपने स्थान पर लौट गयी है तो उन्होंने कहा: हमारे पास दो बाघिनों के सिमिलिपाल से भागकर पश्चिम बंगाल के वन क्षेत्र में जाने की कोई सूचना नहीं है.उन्होंने कहा: हमें सिमिलिपाल से निकलकर झारखंड में घुसने और अब हमारे राज्य में घुसने वाली एक बाघिन के बारे में जानकारी है. हमारे लोग उसकी हरकतों पर लगातार नजर रख रहे हैं. रॉय ने कहा कि ओडिशा के वनकर्मी भी बंगाल के अपने समकक्षों के साथ मिलकर बाघिन की गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं.

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RajeshKumar Ojha
RajeshKumar Ojha
Senior Journalist with more than 20 years of experience in reporting for Print & Digital.

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