Vasectomy in Bihar: पटना. बिहार के 13 मेडिकल कॉलेजों में बीते एक साल में सिर्फ एक पुरुष की नसबंदी की गई है. यह नसबंदी पूर्णिया के मेडिकल कॉलेज में हुई है, बाकी 12 मेडिकल कॉलेजों में एक भी नसबंदी का ऑपरेशन नहीं हुआ है. स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा रिपोर्ट में यह बात सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हलचल तेज हो गई है. यह स्थिति तब है जब बढ़ती जनसंख्या को लेकर परिवार नियोजन पर काई जोर दिया जा रहा है और इसके लिए प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है.
एक भी नसबंदी का ऑपरेशन नहीं
मुजफ्फरपुर स्थित श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज में वर्ष 2024 के दिसंबर तक एक भी नसबंदी का ऑपरेशन नहीं किया गया. स्वास्थ्य विभाग के परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत मेडिकल कॉलेज सहित सभी सरकारी अस्पतालों में पुरुष नसबंदी और महिला बंध्याकरण किया जाना है. श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज के उपाधीक्षक डॉ. सतीश कुमार सिंह ने बताया कि नसबंदी के प्रति पुरुषों में जागरूकता की कमी है. हमारे पास अभी विभाग की रिपोर्ट नहीं आई है. जहां तक बंध्याकरण के भुगतान का सवाल है, उसे अपडेट किया जा रहा है.
पुरुष नसबंदी का लक्ष्य कभी नहीं होता पूरा
बिहार के सभी सरकारी अस्पतालों में पुरुष नसबंदी का लक्ष्य कभी पूरा नहीं होता है. परिवार नियोजन पखवाड़ा में भी पुरुष नसबंदी अस्पतालों में नहीं हो पाती है. परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत महिला बंध्याकरण के साथ पुरुष नसबंदी भी कराना अनिवार्य है. परिवार नियोजन अभियान के तहत विभाग को चौपाल लगाकर लोगों को नसबंदी के प्रति जागरूक भी करना है.
85 प्रसूताओं को नहीं मिली बंध्याकरण की राशि
पुरुष नसबंदी नहीं करने के साथ बिहार के मेडिकल कॉलेजों ने 85 प्रतिशत प्रसूताओं को बंध्याकरण की राशि नहीं दी गई है. विभाग की रिपोर्ट के अनुसार बिहार के मेडिकल कॉलजों पर प्रसूताओं का 1.73 करोड़ रुपये बकाया है. श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज को बंध्याकरण भुगतान के लिए स्वास्थ्य विभाग की तरफ से वर्ष 2024 में 46,10,000 रुपये आवंटित किये गये थे, इनमें सिर्फ 28 हजार रुपये ही भुगतान किये गये हैं. पटना एम्स व मधेपुरा मेडिकल कॉलेज में आवंटित राशि में से एक पैसे का भी भुगतान नहीं किया गया है.
13 मेडिकल कॉलेजों में सिर्फ 2187 को लगा कॉपर्टी
बिहार के 13 मेडिकल कॉलेजों में दिसंबर 2024 तक सिर्फ 2187 महिलाओं को कॉपर्टी (पीपीआईयूसीडी) लगाया गया. मधेपुरा, बिहटा और पटना एम्स मेंएक भी प्रसूता को कॉपर्टी नहीं लगाया गया. श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज में सिर्फ आठ प्रसूताओं को कॉपर्टी लगाया गया. स्वास्थ्य विभाग ने परिवार नियोजन कार्यक्रम में आशा कार्यकर्ताओं को शत प्रतिशत सक्रिय करने का निर्देश दिया है. विभाग ने सभी जिलों को रिपोर्ट भेजकर कहा है कि परिवार नियोजन कार्यक्रम में सिर्फ 42 प्रतिशत आशा कार्यकर्ता ही सक्रिय हैं.
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