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Water Bird Census: बिहार में कम आ रहे मेहमान, पटना में इस साल महज 137 प्रवासी पक्षी ही मिले

Water Bird Census: पक्षी गणना कार्य के लिए छह कोर्डिनेटर समेत टीम की तैनाती की गयी है. पूरे बिहार में 110 साइट पर पक्षियों की गिनती की जायेगी.

Water Bird Census: पटना. पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की ओर पटना समेत पूरे बिहार में एशियन वाटर बर्ड सेंसस यानी जलीय पक्षी गणना का काम दो फरवरी से शुरू हो गया है. जिले के 12 साइट पर गणना कार्य 16 फरवरी तक चलेगा. बुधवार को आठ सदस्यीय टीम ने राजधानी जलाशय मे पक्षियों की गणना की. इसमें 10 प्रजातियों के सिर्फ 137 पक्षी पाये गये. इनमे गैडवॉल, गार्गेनी, इंटरमीडिएट इगरेट, कॉर्मरेट, बरॉन्ज्ड विंग्ड जकाना, कॉमन सैडपाइपर, लीलटल गरीव, लेसर विस्लिंग टील, कॉमन कुट और कॉमन मूरहेन है. टीम मे डॉ गोपाल शर्मा, नवीन कुमार, कर्नल अमित सिन्हा, प्रो शाहला यास्मिन, मो शाहबाज, प्रो संगीता सिन्हा, आसिफ शील और मृत्युंजय मानी थे.

जलाशय मे पानी और भोजन की कमी का असर

डॉ गोपाल शर्मा ने बताया कि पिछले साल के मुकाबले इस साल पवासी पक्षियो की संख्या आधी से भी कम है. जहां पहले 2000 से लेकर 3500 पक्षी रहते थे, वही आज 137 पक्षीही है. इसके दो मूल कारण है. पहला जलाशय मे मौजूद जल स्तर कम होना और दूसरा पक्षियो को मिलने वाले भोजन का मात्रा पर्याप्त न होना है. उन्होने आगे बताया कि पार् पमंडल की ओर से जलाशय मे पानी का स्तर बनाये रखने के लिए मोटर चलाये जाते है. बावजूद इसके जल स्तर काफी कम है, जो पवासी पक्षियो के निवास करने मे सहायक नही रहा.

पक्षी विशेषज्ञों ने सुधार के लिए दिये थे सुझाव

डॉ शाहला यास्मिन ने बताया कि इस बार पक्षियों की संख्या बहुत कम है. सितंबर में जब वह आयी थी, तभी इनकी संख्या मुश्किल से हजार रही होगी. गणना करने आये सदस्यों की ओर से जलाशय के मैनेजमेट को लेकर पटना को सुझाव भी दिये गये थे. पक्षियों के नहीं आने की दो वजहें हैं. पहला पूरे जलाशय में वेजिटेशन ग्रोथ हो गया है. घास की वजह से ओपन वाटर एरिया भी नहीं है, जहां पक्षी रह सके. इसके साथ ही जल स्तर मे भी कमी है.

भागलपुर में भी प्रवासी पक्षियों की संख्या हुई कम

भागलपुर के बरारी से सुलतानगंज के बीच पक्षी गणना का नेतृत्व कर रहे ज्ञान चंद्र ज्ञानी ने बताया कि इस वर्ष पक्षियों की संख्या कम दिख रही है. मानसून में बाढ़-बारिश की अनियमितता के कारण पक्षियों के भोजन के लिए जलीय पौधे व जीव जंतुओं की कमी से शायद संख्या कम है. पक्षियों का प्रवास वहीं होता है जहां भरपूर मात्रा में भोजन मौजूद रहता है. उन्होंने बताया कि गणना के दौरान रेड क्रेस्टेड पोचार्ड लालसर, रूडी सेलडक सुर्खाव, पिनटेल, गार्गनी, गडवॉल, गरुड़ समेत अन्य पक्षियों का झुंड दिखे हैं.

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Ashish Jha
Ashish Jha
डिजिटल पत्रकारिता के क्षेत्र में 10 वर्षों का अनुभव. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश. वर्तमान में पटना में कार्यरत. बिहार की सामाजिक-राजनीतिक नब्ज को टटोलने को प्रयासरत. देश-विदेश की घटनाओं और किस्से-कहानियों में विशेष रुचि. डिजिटल मीडिया के नए ट्रेंड्स, टूल्स और नैरेटिव स्टाइल्स को सीखने की चाहत.

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