Women Day 2025: पटना. अस्सी के दशक में प्रख्यात जनसांख्यिकी विशेषज्ञ आशीष बोस ने राज्यों के विकास को लेकर एक रिपोर्ट सौंपी थी. अपनी रिपोर्ट में आशीष बोस ने पहली बार ‘बीमारू राज्य’ जैसी शब्दावली गढ़ी. उन्होंने कहा था कि बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान आर्थिक विकास, हेल्थ केयर, शिक्षा और अन्य मामलों में पिछड़े हैं. तब से अब तक भले ही कई कैलेंडर बदल गये, लेकिन आज भी गाहे बगाहे राजनीतिक गलियारों में ‘बीमारू’ शब्द सुनाई दे ही जाता है. यह और बात है कि उत्तर प्रदेश, बिहार सरीखे राज्यों ने पिछले कुछ वर्षों में आर्थिक प्रगति का शानदार आख्यान रचा है.
राष्ट्रीय औसत से बेहतर बिहार का प्रदर्शन
आज महिला दिवस के मौके पर यहां मातृ मृत्यु दर की चर्चा प्रासंगिक है, क्योंकि आशीष बोस द्वारा बीमारू राज्य की शब्दावली गढ़ते समय मातृ मृत्यु महत्वपूर्ण पैमाना था. बिहार में मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) में उल्लेखनीय गिरावट आयी है. सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एसआरएस) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2015-17 और 2018-20 के बीच बिहार में एमएमआर में 47 अंकों की गिरावट दर्ज की गयी, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह कमी 25 अंकों की रही. यानी, बिहार ने इस मामले में राष्ट्रीय औसत से बेहतर प्रदर्शन किया है. राज्य सरकार 2030 तक एमएमआर को 70 अंत तक लाने के लिए प्रयासरत है.
संस्थागत प्रसव में बढ़ोतरी
मातृत्व स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के कारण बिहार में संस्थागत प्रसव की संख्या तेजी से बढ़ी है. 2005-06 से 2019-20 के बीच बिहार में संस्थागत प्रसव की दर 53.6 प्रतिशत बढ़ी, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह वृद्धि 49.9 प्रतिशत रही. यह आंकड़ा बताता है कि राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हुआ है और महिलाओं को सुरक्षित प्रसव की सुविधा मिल रही है.
महिला सशक्तिकरण योजनाओं का असर
बिहार सरकार ने महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए कई योजनाएं चलायी हैं, जिनका सीधा असर मातृ मृत्यु दर में गिरावट पर पड़ा है. इनमें जीविका दीदी योजना, मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना और पोषण अभियान जैसी पहल शामिल हैं.
- जीविका योजना: अब तक 10.47 लाख स्वयं सहायता समूह बनाये गये हैं, जिनसे 1.3 करोड़ से अधिक परिवार जुड़े हैं.
- स्वास्थ्य सुविधाएं: संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए आशा कार्यकर्ताओं और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की भूमिका बढ़ी है.
- स्वच्छता और पोषण: महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार के लिए सरकार स्वच्छता और पोषण अभियान चला रही है.
हर घर नल का जल योजना का योगदान
बिहार में हर घर नल का जल योजना का भी महिलाओं के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है. ग्रामीण क्षेत्रों में 2015 में सिर्फ 2 प्रतिशत घरों में नल का जल था, जो अब शत-प्रतिशत के करीब पहुंच चुका है. इस योजना से महिलाओं को पानी लाने की परेशानी से राहत मिली है, जिससे वे स्वास्थ्य और स्वच्छता पर अधिक ध्यान दे पा रही हैं.
आगे की चुनौतियां से निपटने के लिए तैयारी
बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं को और मजबूत किया जा रहा है. डॉक्टरों और नर्सों की कमी को दूर करने के लिए भर्ती प्रक्रिया तेज गयी है. बिहार की उपलब्धि केवल मातृ मृत्यु दर में गिरावट तक सीमित नहीं हैं. नीतीश के नेतृत्व में सरकार ने महिला सशक्तिकरण और महिलाओं की आर्थिक उन्नति के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं लागू की हैं.
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