अमित राज, कुड़ू शिशु शिक्षा और पोषण के उद्देश्य से समाज कल्याण तथा बाल विकास मंत्रालय द्वारा संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति कुड़ू प्रखंड में चिंताजनक बनी हुई है. जीरो से छह साल तक के बच्चों को प्राथमिक शिक्षा और पौष्टिक आहार देने वाले ये केंद्र खुद जर्जर भवनों में संचालित हो रहे हैं, जिससे बच्चों की जान जोखिम में है. कहीं छत से पलास्टर गिर रहा है, तो कहीं छत का छज्जा गिरने की आशंका है. बारिश के दिनों में छत से पानी टपकना आम बात हो गयी है. कुड़ू प्रखंड में 156 आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन हो रहा है, जिनमें लगभग 11,015 बच्चे नामांकित हैं. इनमें छह माह से तीन साल तक के बच्चे 6,343 हैं और तीन से छह साल तक के बच्चे 4,672 हैं. इनमें से 25 केंद्र किराये के मकानों या कच्चे घरों में चल रहे हैं. 74 केंद्र मरम्मत योग्य हैं जबकि 14 को अति जर्जर घोषित किया गया है. छह केंद्रों में नये भवन का निर्माण कार्य जारी है. आंगनबाड़ी संचालन शुरू होने के तीन दशक बाद भी अधिकांश भवनों की मरम्मत नहीं करायी गयी है. कुछ पंचायतों में मुखिया फंड से आंशिक मरम्मत करायी गयी है, लेकिन अति जर्जर भवनों के लिए यह फंड पर्याप्त नहीं है. बारिश के मौसम में सेविकाएं बच्चों को भवन से हटाकर अन्यत्र ले जाती हैं, ताकि कोई दुर्घटना न हो. 25 केंद्र किराये पर, 83 में पेयजल सुविधा नहीं : प्रखंड के 156 केंद्रों में 25 किराये के मकान में चल रहे हैं. 83 केंद्रों में पेयजल की कोई सुविधा नहीं है. बच्चे पोषाहार लेने के बाद गांव के चापाकल से पानी पीने जाते हैं, जिनमें कई खराब पड़े हैं. विभाग को सूचित करने के बावजूद खराब चापाकलों की मरम्मत नहीं हुई. दो साल पहले उपायुक्त के निर्देश पर जर्जर भवनों की मापी करायी गयी थी, लेकिन मरम्मत का काम अब तक शुरू नहीं हुआ है़. हर माह जिला को रिपोर्ट दी जाती है : सीडीपीओ : प्रखंड बाल विकास परियोजना पदाधिकारी सानिया मंजुल ने बताया कि हर माह आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति की रिपोर्ट जिला प्रशासन को दी जाती है. अतिवृष्टि के कारण केंद्रों की हालत और खराब हो गयी है. सभी सेविकाओं को निर्देश दिया गया है कि बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता दें. बच्चों को भेजने से डरते हैं अभिभावक : सेविकाओं ने बताया कि बारिश शुरू होते ही छत से पानी टपकता है और आये दिन पलास्टर गिरते रहता है. इस कारण अभिभावक बच्चों को केंद्र नहीं भेजते. बार-बार अनुरोध और जिम्मेदारी लेने के बाद ही वे बच्चों को भेजते हैं.
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