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चुल्हापानी गांव में विकास अधूरा, अब भी जड़ी-बूटी और पगडंडी पर आश्रित ग्रामीण

चुल्हापानी गांव में विकास अधूरा, अब भी जड़ी-बूटी और पगडंडी पर आश्रित ग्रामीण

कुड़ू़ कुड़ू प्रखंड की अति पिछड़ी सलगी पंचायत के चुल्हापानी गांव की तस्वीर आजादी के 78 साल बाद भी नहीं बदल सकी है. इस गांव के लोग आज भी प्रखंड और पंचायत मुख्यालय तक पहुंचने के लिए जंगली पगडंडी का सहारा लेते हैं. गांव के लोग पीने के लिए दामोदर नदी के उद्गम स्थल चुल्हापानी का पानी उपयोग करते हैं. स्वास्थ्य सुविधा के लिए आठ किलोमीटर दूर स्थित सलगी अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र पर निर्भर रहना पड़ता है. बारिश के मौसम में यह गांव चार माह तक टापू बन जाता है. सड़क नहीं होने के कारण आवागमन का कोई समुचित साधन नहीं है. बीमारी की स्थिति में ग्रामीण जंगली जड़ी-बूटी से इलाज करते हैं और यदि हालत गंभीर हो जाये तो मरीज को खटिया में लादकर सलगी या लोहरदगा अस्पताल पहुंचाया जाता है. एक तरफ देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, दूसरी ओर चुल्हापानी गांव बुनियादी सुविधाओं को तरस रहा है. विडंबना यह है कि गंगा दशहरा के कार्यक्रम में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास, राज्यपाल (वर्तमान राष्ट्रपति) द्रौपदी मुर्मू सहित कई नेता आये थे और चुल्हापानी को पर्यटन स्थल व आदर्श गांव बनाने का वादा किया था. लेकिन सात साल बाद भी न तो दामोदर नदी के उद्गम स्थल को पर्यटन स्थल बनाया गया और न ही गांव को आदर्श गांव का दर्जा मिला. ग्रामीण आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं.

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