गांव के अधिकांश लोगों का जीविकोपार्जन का मुख्य साधन जंगल के सूखे पेड़ों की लकड़ी को बेचकर चलता है.गांव में पहुंचने के लिए ना तो सड़क है.ना ही पेयजल की समुचित व्यवस्था.उबड़ खाबड़ सड़क पर लोग चलने को विवश हैं. कई जगह पुल टूटे हुए हैं. बरसात में आवागमन पूरी तरह बाधित रहती है. परंतु प्रशासन व जनप्रतिनिधी मामले को लेकर गंभीर नहीं है. प्रभात खबर द्वारा खबर के माध्यम से ग्रामीणों की समस्या पहुंचाने की प्रयास किया जा रहा है. ग्रामीण सोहबइत मुंडा,संगीता मुंडा एवं मुक्ति लकड़ा ने कहा कि ग्रामीणों को पेयजल की समस्या होती है.अब तक यहां के जनप्रतिनिधि सिर्फ वोट के समक्ष गांव आते हैं.हम गांव वाले एकजुट होकर भरोसा जताकर वोट देते हैं,लेकिन चुनाव जीतने के बाद कोई भी जनप्रतिनिधि ना तो गांव आते हैं और ना ही हम लोगों को सुध लेते हैं. लेकिन करे भी तो क्या मतदान किसी न किसी को करना ही है. इस गांव में चुनाव को समय सभी दल के लोग पहुंचते हैं. लेकिन हम लोग एकजुट होकर सबसे ज्यादा भरोसा दिलाने वाले पार्टी को ही वोट देते हैं.
प्रशासन के अधिकारी भी गांव का विकास में कोई रुचि नहीं लेते हैं. गांव में अब तक प्रखंड स्तरीय पदाधिकारी नहीं पहुंचे हैं.इससे स्पष्ट है कि इस गांव के विकास से किसी को कोई मतलब नहीं है. पंचायती राज के बाद मुखिया का चुनाव हुआ तीन बार हम लोगों ने मुखिया को वोट दिए. लेकिन मात्र चार किलोमीटर की दूरी के पर स्थित इस गांव में मुखिया भी दोबारा नहीं आयी. ग्रामीणों ने बताया कि गांव तक पहुंच पथ काफी जर्जर है. गांव में ना तो पीने की शुद्ध पानी उपलब्ध हो पाती है.और ना ही स्वास्थ्य सुविधा है. छोटी-मोटी बीमारियों में भी हम लोगों को किस्को जाना पड़ता है. ग्रामीण जगदेव लोहरा, सोमा नगेसिया, कुँवर तुरी का कहना है कि पेयजल संकट के कारण लोग नदी का गंदा पानी पीने को विवश हैं.नदी में बाक्साइट माइंस को लेकर लाल पानी बहती है.वही लोग आज भी नदी पार कर अपने गांव पहुंचते हैं.नदी में पुल का निर्माण नहीं कराया गया है.अन्य मौसम में तो लोग नदी पार कर अपने गांव पहुंच जाते हैं लेकिन बरसात के मौसम में नदी में पानी भर जाने के बाद सप्ताह भर गांव में रहने की व्यवस्था करनी पड़ती हैं.चुकी पहाड़ी नदी के पानी का तीव्र अधिक होता है.कोई भी व्यक्ति जान जोखिम में डालकर नदी पार करने का साहस नहीं करता.हालांकि इस अवधि में खाने पीने का संकट पैदा हो जाता है.कई बार तो अगल-बगल से लेकर लोगों को काम चलाना पड़ता है.बाँध टोली से करम टोली को जोड़ने वाली मुख्य सड़क जर्जर अवस्था में है जगह-जगह सड़क कटाव होने से सड़क संकीर्ण हो गया है.जो खतरे को आमंत्रित कर रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन गांव की विकास में ध्यान दे.जिससे ग्रामीणों को सरकारी सुविधा उपलब्ध हो सके.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है