मेदिनीनगर. हर घर तक बिजली पहुंचाने के लिए सरकार द्वारा विद्युतीकरण योजना चलायी गयी. लेकिन पलामू में यह योजना पूर्ण होती नही दिख रही है. बिजली विभाग विद्युतीकरण योजना को लेकर अपनी पीठ भले ही थपथपा लें, लेकिन शहर के आसपास के इलाके की तस्वीरें उपलब्धि के दावे का पोल खोल रही हैं. पलामू प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर के शहरी इलाके में आज भी कई ऐसी जगह हैं, जहां विभाग ने खंभा व तार नहीं लगाया. लेकिन जरूरतमंद लोग बांस व हरे पेड़ के सहारे तार खींच कर अपने घरों तक बिजली कनेक्शन लेने के लिए मजबूर हैं. विभाग के उदासीन रवैये का ही परिणाम है कि लोग खतरा उठा कर बांस के बिजली का तार खींच रहे हैं. कायदे के मुताबिक यह होना चाहिए कि कनेक्शन देने से पहले विभाग के पदाधिकारी को उपभोक्ता के मकान का भौतिक सत्यापन कर लेना चाहिए था. उपभोक्ता के घर तक विभाग ने बिजली का खंभा व तार लगाया नहीं. लेकिन उन्हें कनेक्शन अवश्य दे दिया. ऐसी स्थिति में लोग क्या करते. उपभोक्ताओं के मुताबिक विभाग के कार्यालय का चक्कर लगा कर थक गये. लेकिन कई दिनों तक बिजली का खंभा व तार नहीं लगा. अंतत: उपभोक्ता बांस के सहारे बिजली का तार अपने घर तक ले गये. इस तरह कई वर्ष गुजर गये. लेकिन विभाग ने लोगों के घर तक बिजली का खंभा व तार लगाने की जहमत नहीं उठायी. बांस के सहारे लोग अपने घर तक बिजली ले जाने में कामयाब रहे. लेकिन यह व्यवस्था खतरे को आमंत्रित कर रही है. प्रभावित इलाके के लोगों की मानें, तो जिस तरह मौसम का रुख है, यदि आंधी तूफान चला तो बांस व पेड़ के सहारे ले जाया गया तार कभी भी टूट कर गिर सकता है और जानलेवा साबित हो सकता है. कई जगहों पर देखा गया कि विभाग ने ट्रांसफार्मर तो लगा दिया. लेकिन बिजली का खंभा लोगों के घर तक नहीं पहुंचाया. अंतत: लोग ट्रांसफॉर्मर से ही तार जोड़ कर बांस व पेड़ के सहारे अपने घरों तक बिजली ले गये हैं. इन मुहल्लों में मकड़जाल की तरह तार उलझा हुआ है. सोचा जा सकता है कि एक क्षेत्र में कितने उपभोक्ता अपने घर तक इस तरह की व्यवस्था से बिजली पहुंचा रहे हैं. शहर के बीसफुटा पुल के समीप कोयल नगर के अलावा बढकी बैरिया, निमियां, बारालोटा के गुरियाही टोला, वार्ड संख्या 17 में डीहवार स्थान के आसपास के घरों में लोग बांस के सहारे बिजली ले जाने को मजबूर हैं. इसी तरह वार्ड संख्या 18 रेड़मा के सेमरटोला की अलग राम कहानी है.
15 साल पहले मिला कनेक्शन, खंभा नहीं लगा
अनिल तिवारी, कृष्णा पांडेय, राहुल तिवारी, ओमप्रकाश तिवारी, पिन्टु भुइयां, सुदेश्वर तिवारी, राजू रंजन तिवारी, अशोक गुप्ता, प्रतिमा देवी की माने तो करीब 15 वर्ष से वे लोग घर बना कर रह रहे हैं. विभाग ने उन्हें बिजली का कनेक्शन दे दिया. लेकिन घर तक पोल व तार नहीं लगाया. वे लोग बांस के सहारे मुख्य सड़क से तार खींच कर घर में बिजली का उपयोग कर रहे हैं. इस दौरान कई बार विभागीय पदाधिकारी को आवेदन देकर पोल व तार लगाने की मांग की गयी. विभाग के द्वारा सर्वेक्षण कराने के बाद स्वीकृति दी गयी. लेकिन आज तक बिजली का पोल व तार नहीं लगा.
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