मेदिनीनगर.राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सह राज्यसभा सांसद दिशोम गुरुजी शिबू सोरेन वर्ष 2004 में पांकी प्रखंड के कसमार ताल गांव गये थे. पुलिस एनकाउंटर में माओवादी अजय यादव के मारे जाने के बाद उनके परिजनों से मिले थे. उन्होंने पुलिस एनकाउंटर को फर्जी बताया था. वहां पर सभा भी की थी. वापस लौटने के क्रम में नीलांबर पीतांबरपुर प्रखंड के, (पहले लेस्लीगंज) के जामुंडीह गांव में रामस्वरूप तिवारी के यहां पहुंचे थे. उस समय गुरुजी से जुड़े झारखंड मुक्ति मोर्चा के तत्कालीन केंद्रीय समिति सदस्य अनुज तिवारी के आग्रह पर दौरा किया था. गुरुजी के जामुंडीह गांव में आने की सूचना पर सैकड़ों ग्रामीण पुरुष-महिलाएं पहुंचकर उनका स्वागत किया था. इस दौरान गुरुजी जन समस्याओं से अवगत हुए और इसका निराकरण करने का आश्वासन दिया. पलामू दौरा के 15 दिन के बाद ही गुरुजी ने मुख्यमंत्री की शपथ ली थी. अनुज तिवारी ने बताया कि संघर्ष के कार्यकाल में उनके साथ जुड़कर पार्टी के लिए काम किया. दिशोम गुरु शिबू सोरेन का आत्मिय लगाव रहा था. गरीबों के दर्द को समझते थे. वे जमीनी नेता थे.हमेशा उन्होंने संघर्ष किया. जिसका प्रतिफल है अलग झारखंड राज्य गठन. शिबू सोरेन का सादगी जीवन रहा था. उन्होंने बताया कि पलामू दौरा के क्रम में शिबू सोरेन ने उनके घर आने की इच्छा जतायी थी. बेसन का हलवा था पसंद शिबू सोरेन को बेसन का हलवा काफी पसंद था.दौरा के क्रम में जामुंडीह में विशेष रूप से बेसन का हलवा जलपान के रूप में ग्रहण किया था. इसके लिए उन्होंने तिवारी परिवार को धन्यवाद दिया था. गुरुजी के साथ पलामू के जामुंडीह दौरा के क्रम में उनके पुत्र वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी मौजूद थे.
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