विश्रामपुर. प्रखंड की बाघमनवा पंचायत में भीषण गर्मी के बीच पेयजल के लिए हाहाकार मचा हुआ है. छह हजार की आबादी वाली पंचायत के निवासी पानी के लिए त्राहिमाम कर रहे हैं. यहां के कुआं, तालाब व नदियां सूख चुके हैं. चापानल भी हांफ रहे हैं. आदिवासी बाहुल्य इस पंचायत के लोग पीने का पानी एक किलोमीटर दूर से ला रहे हैं. सुबह होते ही हर घर के बच्चे सिर पर बर्तन लेकर पानी की तलाश में निकालते हैं. जिसके कारण उनका स्कूल जाना भी बंद हो चुका है. इस पंचायत में पेयजल की योजनाओं पर करोड़ों खर्च किये जा चुके हैं. बावजूद पेयजल की स्थिति भयावह बनी हुई है. जल जीवन मिशन योजना बघमनवां पंचायत में पूरी तरह फेल हो गया है. पंचायत में हर घर नल से जल देने की योजना में सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च किये, बावजूद लोगों को पानी नहीं मिल पा रहा. बाघमनवा पंचायत में पीएचडी विभाग द्वारा कुल 57 जल मीनार लगाने की स्वीकृति मिली थी. जिसमें से तीन बड़ी जल मीनार थी. प्रति जल मीनार की लागत 24 लाख 76 हजार है. वहीं 30 मध्यम साइज की जलमीनार है, लागत प्रति जल मीनार 10 लाख से भी ज्यादा है. जबकि 24 की लागत प्रति जल मीनार छह से सात लाख रुपये तक है. पंचायत क्षेत्र में अभी तक 57 जलमीनारों में लगभग 45 जल मीनार का अधिष्ठापन किया गया है. जिसमें से 32 जल मीनार मृतप्राय हो चुके है. शेष 13 जलमीनार भी घंटों प्रयास के बाद दो – चार बाल्टी ही पानी दे पा रही है. अगर तत्काल पेयजल की वैकल्पिक व्यवस्था यहां नहीं की गयी तो स्थिति और बदतर हो जायेगी. पंचायत की मुखिया मंजू देवी ने बताया कि यह स्थिति संवेदक की लापरवाही व मनमानी के कारण हुई है. अगर संवेदक जल नल योजना को सही तरीके से क्रियान्वित करता, तो पंचायत में पेयजल की किल्लत नहीं होती. उन्होंने कहा कि अधिसंख्य जल मीनार खराब हो चुके हैं. इसकी शिकायत संबंधित विभाग से की गयी है.
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