रामनरेश तिवारी, पाटन प्रखंड के पाटन आदर्श प्लस टू उच्च विद्यालय में सुविधाओं का घोर अभाव है. विद्यालय में विद्यार्थियों के अनुपात में शिक्षक नहीं हैं. वहीं शौचालय व चहारदीवारी नहीं है, जिससे विद्यालय परिसर में गंदगी का अंबार लगा रहता है. पाटन प्लस टू उवि को आदर्श विद्यालय के रूप में चयन किया गया है. इस विद्यालय में छात्र छात्राओं की संख्या कुल 2210 है. जिसमें 60 फीसदी छात्राओं की संख्या है. शिक्षकों का स्वीकृत कुल 22 पद स्वीकृत है. इसके विरुद्ध कुल 17 शिक्षक पदस्थापित हैं. जिसमें शिक्षकों को पदस्थापन के साथ ही दूसरे विद्यालय में प्रतिनियोजित कर दिया गया है. सरकारी प्रावधान के मुताबिक 40 बच्चे पर एक शिक्षक का होना अनिवार्य है. ऐसे में करीब 50 शिक्षक होना चाहिए. इतना ही नहीं विद्यालय में विषयवार शिक्षक का भी अभाव है. वार्षिक माध्यमिक परीक्षा 2025 में करीब 96 प्रतिशत बच्चे उत्तीर्ण हुए हैं. जबकि इंटर में करीब 86 प्रतिशत बच्चे उत्तीर्ण हुए हैं. प्रधानाध्यापक संतोष कुमार बताते हैं कि विद्यालय सीमित संसाधन में भी बेहतर शिक्षा देने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि विद्यालय में छात्राओं की संख्या अधिक है. लेकिन विद्यालय में एक ही शौचालय है. जिससे खासकर छात्राओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. विद्यालय में भवन तो है. भवन का निर्माण भी हो रहा है. लेकिन उपस्कर अर्थात बेंच, डेस्क नहीं है. जिससे बच्चों को बैठाने में भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. क्योंकि विद्यालय में करीब 75 से 80 प्रतिशत बच्चों की उपस्थिति होती है. विद्यालय में एक भी आदेशपाल नहीं हैं. जबकि तीन स्वीकृत पद है. विद्यालय का चहारदीवारी नहीं है. जिससे कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा विद्यालय परिसर में गंदगी फैला दिया जाता है. जिससे भी का काफी परेशानी होती है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है