मेदिनीनगर. पलामू के अंतिम रक्सैल वंश के राजा मानसिंह के ऐतिहासिक किले का स्थल अमानत नदी के कटाव के कारण धीरे-धीरे अपना अस्तित्व को खो रहा है. यह स्थल, जिसे मानगढ़ के नाम से जाना जाता है, हर साल नदी की बाढ़ की चपेट में आ रहा है, जिससे यहां की ऐतिहासिक विरासत खतरे में है. स्थानीय ग्रामीणों और इतिहासकारों का मानना है कि इस धरोहर को बचाने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और राजा मानसिंह का शासन
किले के अवशेष और बाढ़ का कहर
तरहसी में किसी महल के अवशेष अभी भी पाए जाते हैं. पुराने ग्रामीण बताते हैं कि 1977 की बाढ़ से पहले यहां एक बहुत बड़ा मैदान हुआ करता था, जहां जिला स्तरीय फुटबॉल प्रतियोगिताएं भी आयोजित होती थीं. लेकिन 1977 की विनाशकारी बाढ़ ने मानगढ़ स्थल के बड़े हिस्से को बहा दिया. कटाव वाले क्षेत्रों से धातु से निर्मित बर्तनों के जमीन में छिपे होने के निशान और ईंट व ईंट के टुकड़ों के अवशेष भी मिले हैं, जो यहां किसी प्राचीन बस्ती या किले के होने की पुष्टि करते हैं.दानवीर और शक्तिशाली राजा थे मानसिंह
धरोहर बचाने की तत्काल आवश्यकता
पलामू के इस ऐतिहासिक तरहसी किला स्थल मानगढ़ की भूमि को बचाने की तत्काल आवश्यकता है. प्रतिवर्ष अमानत नदी की बाढ़ से हो रहे कटाव के कारण यह स्थल धीरे-धीरे समाप्त हो रहा है. वर्ष 2007-2008 में झारखंड में मधु कोड़ा के मुख्यमंत्री काल में जल छाजन विभाग द्वारा करोड़ों रुपये की लागत से पत्थर और लोहे की जाल लगायी गयी थी, लेकिन वह कारगर साबित नहीं हुई और बाढ़ में बह गई. स्थिति इतनी गंभीर है कि विज्ञान भवन और किसान भवन, जो सरकार द्वारा बनवाए गए हैं, वे भी अमानत नदी के कटाव के कारण मुहाने पर आ गए हैं और इस वर्ष की बाढ़ में उनके बह जाने का खतरा है. यदि इस ऐतिहासिक स्थल और आसपास के क्षेत्रों को बचाने के लिए ठोस और प्रभावी उपाय नहीं किए गए, तो यह बहुमूल्य धरोहर पूरी तरह से अमानत नदी में समा जायेगी, जिससे पलामू का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक अध्याय हमेशा के लिए मिट जायेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है