फोटो फाइल 4आर-26- शिबू सोरेन का पैतृक आवास का बालकोनी जहां शिबू सोरेन बैठते थे. सलाउदीन रामगढ़. रामगढ़ जिले के नेमरा गांव शिबू सोरेन के पैतृक आवास में लगे पांच कुर्सियां गुरु जी की पुरानी यादों को ताजा कर रहे हैं. शिबू सोरेन पिछले कई वर्षों से जब भी नेमरा गांव अपने घर आते थे. इसी बालकोनी में लगे कुर्सी में बैठते थे. इस कुर्सी में उनके साथ उपर बरगा गांव के ताराचंद मंडल, ठाकुरदास मंडल, हेठबरगा के राजेंद्र साव, कदला गांव के देवशरण मुर्मू, सुतरपुर के कंदरू मुंडा बैठा करते थे. गांव के ही हरि बोल महतो ने बताया कि बाबा शिबू सोरेन हमेशा यहीं पर बैठा करते थे. बाबा अपने घर में इसी कुर्सी में बैठकर गांव वालों से मिलते और उन्हें समझाते थे. उनके साथ बैठनेवाले ताराचंद मंडल ने बताया कि शिबू सोरेन कहते थे कि झारखंड राज्य बन गया है. अब तुमलोग दौड़ो- धूपो. नौकरी निकलेगा, राेजगार लो. विधायक अर्जुन राम ने बताया कि हम जैसे शिबू सोरेन के आवास में आते चाचा-चाचा बोलकर इसी कुर्सी से उठकर हाथ पकडकर बगल में बैठाते थे. वर्ष 1973 के समय शिबू सोरेन की हल्की-हल्की दाढ़ी थी. जब महाजनी प्रथा के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे. पुलिस उनके पीछे लगी हुई थी. मेरे घर में आये हाथ भी ठीक से नहीं धोया जल्दी-जल्दी खाना मांगकर खाये. बोले पुलिस लगी हई है. पीछे के दरवाजे से वो निकल गये. शिबू सोरेन पैतृक आवास का यह बालकोनी अब यादों में रहेगा शिबू सोरेन के साथ संत कोलंबा कॉलेज में पढ़नेवाले वरिष्ठ पत्रकार अभिजीत सेन ने बताया कि शिबू सोरेन 1959-60 में संत कॉलेज में पढते थे. संत कोलंबस कॉलेज का 50 वर्ष पूरा होने पर जो कार्यक्रम हुआ था. कॉलेज के मार्च पास्ट रैली में शिबू सोरेन शामिल हुये थे. अभिजीत सेन ने आगे बताया कि महाजनी प्रथा के खिलाफ आंदोलन करने के लिये शिबू सोरेन ने कॉलेज से पढाई छोड़ दी थी. बाद में अपने कॉलेज के सभी साथियों को नेमरा गांव घुमाने के लिये ले गये थे. जिसमें मैं भी गया था साथ में.
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