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Shibu Soren: ‘सोहराय और बाहा पर्व में साथ होंगे बाबा’ दिल्ली में एडमिट शिबू सोरेन का बेसब्री से इंतजार कर रहा नेमरा

Shibu Soren: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में 19 जून 2025 से इलाजरत हैं. उनके जल्द से जल्द स्वस्थ होने को लेकर पूजा-पाठ और दुआओं का दौर जारी है. इस बीच उनके पैतृक गांव नेमरा (रामगढ़) के लोगों को भी उनके गांव आने का बेसब्री से इंतजार है. उन्होंने कहा कि इस बार सोहराय और बाहा पर्व में बाबा (गुरुजी) उनके साथ होंगे.

Shibu Soren: नेमरा (रामगढ़) से लौटकर सलाउद्दीन-दिशोम गुरु शिबू सोरेन के जल्द से जल्द स्वस्थ होने की कामना देशभर के लोग कर रहे हैं, वहीं शिबू सोरेन के पैतृक गांव नेमरा में रह रहे संथाली परिवार के लोगों को भी उम्मीद है कि शिबू सोरेन जल्द स्वस्थ होकर गांव लौटेंगे. जिस तरह वर्षों से वे सोहराय और बाहा पर्व साथ मिल कर मनाते थे. उसी तरह फिर से गांव के लोग उनके साथ होंगे और पर्व मनाएंगे. रामगढ़ जिला मुख्यालय से नेमरा गांव लगभग 50 किलोमीटर दूर है. झारखंड के पूर्व सीएम और राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन फिलहाल दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में इलाजरत हैं. 19 जून 2025 को उनकी बहू कल्पना सोरेन रूटीन चेकअप के लिए दिल्ली ले गयी थीं. तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें वहां भर्ती कराया गया था.

पहाड़ों से घिरा है शिबू सोरेन के नेमरा का पैतृक आवास


जंगलों में रह कर लंबे समय तक संघर्ष करने वाले शिबू सोरेन का नेमरा स्थित पैतृक आवास पहाड़ों से घिरा है. चंदवा टुंगरी पहाड़, ढ़ेकाकोचा पहाड़ और बाड़े कोचा पहाड़ की तराई में हरियाली के बीच शिबू सोरेन का पैतृक आवास है. यहां लगभग 150 संथाली परिवार रहते हैं. पहाड़ की तराई के बीच समतल भूमि पर गांव के लोग खेती करते नजर आ रहे थे. घर के प्रवेश द्वार से सटे तालाब में गांव बच्चे सुमित सोरेन, उर्मिला सोरेन, सीता सोरेन मछली मार रहे थे. पूछने पर उन्होंने बताया कि सभी मध्य विद्यालय रोरा से पढ़ाई करके घर पहुंचे. इसके बाद घरों से बंसी लेकर तालाब में मछली मार रहे हैं.

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सोहराय और बाहा पर्व में घर पर आते रहे हैं बाबा-रेखा सोरेन


शिबू सोरेन की भतीजी रेखा सोरेन ने बताया कि बाबा पिछली बार सोहराय पर्व पर घर पर आए थे. जबसे होश संभाली हूं बाबा हमेशा सोहराय और बाहा पर्व में घर पर आते रहे हैं. बाबा के आने की सूचना मिलते ही आस-पास के नरसेहड़ी, औराडीह, संभलपुर, गोविंदपुर, धोरधोरा समेत अन्य गांव के लोग आकर बाबा से मिलते हैं. एक-दूसरे का बाबा हालचाल पूछते. घंटों लोग इंतजार करते लेकिन बाबा से मिल कर ही जाते. पिछली होली में बाहा पर्व में बाबा शिबू सोरेन अस्वस्थ होने के कारण नहीं आ पाए थे. चाची रूपी सोरेन, भैया हेमंत सोरेन समेत परिवार के सभी सदस्य आए थे. पतड़ा पीठा बनाए. पारंपरिक गीतों के साथ नृत्य भी किए, लेकिन बाबा शिबू सोरेन की अनुपस्थिति सभी सदस्यों को खल रही थी. स्वस्थ होकर बाबा इस बार सोहराय पर्व में उनके बीच रहें, यही कामना करते हैं.

परिवार में काफी बनाव रहता था-दीपमणि सोरेन


शिबू सोरेन के छोटे भाई स्वर्गीय शंकर सोरेन की पत्नी दीपमणि सोरेन पैतृक आवास में रहने वाली सबसे पुराने सदस्यों में से एक हैं. दीपमणि ने बताया कि नेमरा गांव के इस घर में उनके पति शंकर सोरेन और सभी चार भाई राजाराम सोरेन, शिबू सोरेन, लालू सोरेन, रामू सोरेन का परिवार रहता था. परिवार के बीच काफी बनाव और तालमेल था. इसी घर से दुर्गा सोरेन, हेमंत सोरेन और बसंत सोरेन की शादी हुई है.

शिबू सोरेन को शुरू से पसंद है सादा जीवन-दीपमणि सोरेन


दीपमणि सोरेन बताती हैं कि शिबू सोरेन का जीवन शुरू से सादगीभरा रहा है. उन्हें सादा खाना पसंद है. वे शाकाहारी हैं. वे खूब पैदल चला करते थे. टुंडी-पोखरिया उनका आना-जाना लगा रहता था. शुरुआती दिनों में जो भी खेतिहर जमीन थी. सभी लोग मिल कर खेती-बाड़ी करते थे. पहले गाड़ी बैठने के लिए 10 किलोमीटर से भी दूर पैदल चलकर जाना होता था. समय के साथ गांव में धीरे-धीरे सुविधाएं बढ़ी हैं.

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Guru Swarup Mishra
Guru Swarup Mishrahttps://www.prabhatkhabar.com/
मैं गुरुस्वरूप मिश्रा. फिलवक्त डिजिटल मीडिया में कार्यरत. वर्ष 2008 से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से पत्रकारिता की शुरुआत. आकाशवाणी रांची में आकस्मिक समाचार वाचक रहा. प्रिंट मीडिया (हिन्दुस्तान और पंचायतनामा) में फील्ड रिपोर्टिंग की. दैनिक भास्कर के लिए फ्रीलांसिंग. पत्रकारिता में डेढ़ दशक से अधिक का अनुभव. रांची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में एमए. 2020 और 2022 में लाडली मीडिया अवार्ड.

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