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PMCH में एनआइसीयू वार्ड फुल, एक बेड पर दो बच्चों का इलाज, संक्रमण का बढ़ा खतरा

PMCH के एनआइसीयू में सिर्फ 48 बेड हैं लेकिन वर्तमान समय में करीब 78 बच्चों का इलाज किया जा रहा है.

PMCH News पीएमसीएच का एनआइसीयू (नीकू) में इन दिनों संक्रमण का खतरा बना हुआ है. यहां फिर से एक बेड पर दो से तीन प्रीमैच्योर बच्चों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है. बीते 15 दिन से यह समस्या खड़ी हो गयी है. इलाज कर रहे डॉक्टरों के मुताबिक नीकू में बेडों की कमी होने के कारण एक बेड पर दो-दो मरीजों को भर्ती किया जा रहा है. जिसके कारण नवजातों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि अस्पताल प्रशासन की माने तो इस समस्या को लेकर उच्च अधिकारियों को भी अवगत करवाया गया है, लेकिन नये अस्पताल के निर्माण को लेकर अभी तक नीकू वार्ड में बेड बढ़ाने की संभावना नहीं है.

48 बेड पर 78 बच्चे, कैसे होगा इलाज

पीएमसीएच के नीकू में मरीजों की भीड़ अधिक है, इसको देखते हुए यहां एक बेड पर दो से तीन बच्चों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है. यहां के नीकू में सिर्फ 48 बेड हैं लेकिन वर्तमान समय में करीब 78 बच्चों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है. स्थिति यह है कि किस बच्चे को कौन सा संक्रमण है और इससे दूसरा बच्चा चपेट में आयेगा या नहीं इस मामले पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. वर्तमान में यहां पहले दिन से लेकर करीब तीन महीने तक के बच्चे को भी रखा गया है, इनमें कुछ को बुखार, कुछ को सांस लेने में तकलीफ, तो बाकी बच्चों में त्वचा का संक्रमण है.

नर्स व जूनियर डॉक्टरों के भरोसे नवजातों का इलाज

पीएमसीएच के नीकू वार्ड नर्स व जूनियर डॉक्टरों बदौलत ही चल रहा है. सीनियर डॉक्टर रात के अलावा दिन में भी गायब रहते हैं. जबकि जानकारों की माने तो एनआइसीयू में अधिकतर गंभीर बच्चों को भर्ती किया जाता है. अस्पताल के रोस्टर के अनुसार यहां 24 घंटे सीनियर रेजीडेंट डॉक्टर व असिस्टेंट डॉक्टर की ड्यूटी लगायी जाती है. लेकिन मरीज के परिजनों की मानें, तो सीनियर डॉक्टर के बदले जूनियर डॉक्टर ही इलाज करते हैं. खासकर रात के समय बच्चों की स्थिति और अधिक गंभीर हो जाती है. वहीं परिजनों की मानें, तो वर्तमान में यहां कई दवाएं नि:शुल्क मिल रही हैं, लेकिन कुछ ऐसी भी दवाएं हैं, जिनको बाहर से खरीदना पड़ता है.

कैसे काम करता है एनआइसीयू

नवजात शिशुओं को स्पेशल केयर की जरूरत होती है, उन्हें अक्सर अस्पताल के नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट में रखा जाता है. इन वार्ड में ऐसे हाइटेक टेक्नोलॉजी और सीनीयर हेल्थ प्रोफेशनल्स होते हैं, जो शिशुओं की खास देखभाल करते है. बच्चे बीमार ना हो, इसके लिए उन्हें स्पेशलाइज्ड नर्सिंग केयर की जरूरत होती है. इसलिए उन्हें भी एनआइसीयू में रखा जाता है.

अगले साल से बढ़ जायेंगी सुविधाएं

पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ आइएस ठाकुर ने कहा कि यहां नि:शुल्क इलाज किया जाता है, इसलिए मरीजों की संख्या अधिक होती है. गंभीर मरीजों को प्राथमिकता के तौर पर इलाज करने का निर्देश जारी है. वहीं अस्पताल में विश्वस्तरीय स्तर की सुविधाएं शुरू होने जा रही है. फस्ट फेज के तहत ओपीडी की शुरुआत कर दी गयी है. अगले साल 2250 बेड भर्ती वाले मरीजों के लिए नया अस्पताल शुरू कर दिया जायेगा. इसमें नीकू, पीकू वार्ड में बेडों की संख्या भी अधिक होगी. इसके बाद परेशानी खत्म हो जायेगी.

RajeshKumar Ojha
RajeshKumar Ojha
Senior Journalist with more than 20 years of experience in reporting for Print & Digital.

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