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EXPLAINER: पिनकोड से कितना अलग है इंडिया पोस्ट का नया एड्रेसिंग सिस्टम डिजीपिन?

DIGIPIN: इंडिया पोस्ट ने नए एड्रेसिंग सिस्टम की शुरुआत की है, जिसका नाम है डिजीपिन. यह आपका नया डिजिटल पता बनेगा. पारंपरिक पिन कोड की तुलना में यह नया सिस्टम आपके स्थान का सटीक डिजिटल पहचान देगा. आइए जानते हैं आखिर क्या है डिजीपिन और यह कितना अलग है पिनकोड से.

DIGIPIN: जब भी हम अपना पता कहीं लिखते हैं या किसी को बताते है तो अंत में पिन कोड जोड़ते हैं. यह पिन कोड एक 6 अंकों की डिजिट होती है जिसे भारतीय डाक विभाग द्वारा किसी विशेष क्षेत्र की पहचान के लिए जारी किया जाता है. भारत में वर्तमान में इस्तेमाल हो रहे छह अंकों वाला पिन कोड सिस्टम 15 अगस्त 1972 से लागू है. यह सिस्टम उस दौर के लिए बनाई गई थी जब देश में डिजिटल सेवाएं और लोगों की गतिशीलता सीमित थी. लेकिन जैसे-जैसे ई-कॉमर्स, फूड डिलीवरी और टेलीमेडिसिन जैसी ऑनलाइन सेवाओं का विस्तार हुआ, यह पुराना सिस्टम अपनी कई खामियों के साथ सामने आया.

इसी समस्या को हल करने के लिए भारतीय डाक विभाग ने एक नया डिजिटल एड्रेसिंग सिस्टम शुरू किया है, जिसका नाम है डिजिपिन (DIGIPIN) यानी डिजिटल पोस्टल इंडेक्स नंबर. इसका उद्देश्य यह है कि देशभर में किसी भी जगह का एकदम सटीक और डिजिटल पता आसानी से उपलब्ध हो सके. आइए विस्तार से जानते हैं कि यह नया सिस्टम क्या है और कैसे काम करता है, साथ ही जानेंगे आप अपने डिजिपिन का पता कैसे लगा सकते हैं.

क्या है DIGIPIN?

Digipin एक एडवांस्ड डिजिटल एड्रेस सिस्टम है जिसे भारतीय डाक विभाग ने IIT हैदराबाद और ISRO के साथ मिल कर बनाया है. इसका उद्देश्य देश के हर कोने को एक सटीक डिजिटल पहचान देना है. इस तकनीक के तहत पूरे भारत को 4 मीटर × 4 मीटर के छोटे-छोटे हिस्सों में बांटा गया है, और हर हिस्से को एक विशेष 10-अक्षरों वाला यूनिक कोड दिया गया है जिसे ‘डिजिपिन’ कहा जाता है.

यह कोड किसी स्थान के अक्षांश (latitude) और देशांश (longitude) पर आधारित होता है. इसकी मदद से कूरियर और पार्सल डिलीवरी के अलावा इमरजेंसी सेवाओं के लिए भी किया जा सकता है. आपातकालीन स्थितियों में, आप पुलिस, एम्बुलेंस या अग्निशमन सेवाओं को कॉल करने के लिए अपना डिजीपिन दे सकते हैं.

Pincode से कैसे अलग है DIGIPIN?

Digipin और पिनकोड दोनों ही एड्रेस पहचानने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं लेकिन इनका काम करने का तरीका पूरी तरह से अलग है. ट्रेडिशनल पिन कोड बड़े इलाके की पहचान के लिए डिजाइन किया गया है, जबकि डिजीपिन एक डिजिटल लोकेशन सिस्टम है जो पूरे भारत में से किसी भी जगह की बिलकुल सटीक लोकेशन पहचानने में मदद करता है. पिनकोड जिस तरह से 6 अंकों का होता है, उसी तरह से डिजिपिन 10 अक्षरों का एक यूनिक डिजिटल कोड होता है. इस सिस्टम में पूरे देश को 4×4 मीटर के ग्रिड में बांटा जाता है और इसके बाग हर हिस्से को 10 अक्षरों वाला यह यूनिक कोड दिया जाता है.

क्या DIGIPIN के आने से खत्म हो जाएगा पुराना Pincode सिस्टम?  

DIGIPIN एक पारंपरिक PIN Code का अपग्रेडेड डिजिटल वर्जन है. इसे पूरी तरह रिप्लेस करने के बजाय यह साथ में काम करेगा ताकि एड्रेसिंग सिस्टम ज्यादा स्मार्ट और लोकेशन-सटीक बन सके. आपका पुराना पता वैसे का वैसे ही रहेगा बस DIGIPIN के जरिए डिजिटल लोकेशन भी इससे जुड़ जाएगी. इसकी मदद से पते की जो पहचान और वेरिफिकेशन है वो पहले से ज्यादा फास्ट, सुरक्षित और आसान हो जाएगी.

कैसे पता करें अपना DIGIPIN?

आपको अपना डिजीपिन बनाने के लिए https://dac.indiapost.gov.in/mydigipin/home साइट पर जाना होगा. इस साइट पर आ जाने के बाद आपको अपने डिवाइस को लोकेशन एक्सेस देना होगा ताकि आपकी सटीक स्थिति के आधार पर डिजीपिन बनाया जा सके. एक बार जब आप लोकेशन एक्सेस की अनुमति दे देंगे तो उसके बाद सिस्टम आपकी जगह के हिसाब से एक 10-अक्षरों का यूनिक कोड आपको दे देगा. इस कोड का इस्तेमाल कर आप आपातकालीन सेवाएं, लॉजिस्टिक्स, कूरियर डिलीवरी और यहां तक कि राइडशेयर बुकिंग भी कर सकते हैं.

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Ankit Anand
Ankit Anand
अंकित आनंद ने GGSIP यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म एंड मास कम्यूनिकेशन में ग्रेजुएशन की है. वर्तमान में, वह प्रभात खबर.कॉम में टेक और वायरल सेक्शन की खबरें कवर करते हैं. प्रभात खबर में शामिल होने से पहले उन्होंने ZEE न्यूज़ में असिस्टेंट प्रोड्यूसर के तौर पर काम किया है. इन्हें लाइफस्टाइल, ट्रैवल, स्पोर्ट्स और पॉलिटिक्स जैसे विषयों पर लिखने में रुचि है. इसके अलावा अंकित को नई चीजें सीखना, किताबे पढ़ना, फिल्में और क्रिकेट देखना पसंद है.

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