तारापुर. बिहार, झारखंड, उड़ीसा व बंगाल के अमीर-ए-शरीयत हजरत मौलाना अहमद वली फैसल रहमानी ने पैगाम दिया कि एक मस्जिद को आबाद करें, नमाजियों से भरें. उसके बाद दूसरी मस्जिद बनाएं. खाली मस्जिदों की तादाद बढ़ाने से बेहतर है जो मस्जिद पहले से बनी है, उसमें रूहानी रौनक लाई जाए. वे शनिवार को तारापुर के इब्राहिमपुर में नई मदीना मस्जिद के संगे-बुनियाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. फैसल रहमानी ने कहा कि आज के दौर में हमें सिर्फ इमारत नहीं, बल्कि इंसानियत भी बनानी है. दिन और दुनिया के बताए हुए सही रास्ते पर चलें. किसी गरीब, मजलूम या लाचार को सताना इस्लाम की तालीम नहीं है. जो अल्लाह का घर बना रहे हैं, वे अपने हाथों से काम करके उसमें हिस्सा लें. यह काम सिर्फ चंदे या ठेके से पूरा नहीं होता, इसमें अपना वक्त देना सबसे बड़ी इबादत है. आज मुस्लिम समाज की सबसे बड़ी कमजोरी तालीम है. 100 में से सिर्फ 43 लोग ही शिक्षित हैं. मस्जिद के साथ-साथ हमें स्कूल, कोचिंग और तालीमी सेंटर बनाने की जरूरत है. यह समाज की बुनियाद को मजबूत करेगा. उन्हाेंने कहा कि सिर्फ मस्जिद बनाना मजहब की हिफाजत नहीं है. जब तक हम अपने आमाल को ठीक नहीं करेंगे, जैसे किसी का हक न मारना, किसी से बेईमानी न करना, मुफलिसों की मदद करना, तब तक मजहब अधूरा ही रहेगा. मजहब दिलों को साफ करने और इंसान को बेहतर बनाने का नाम है. इससे पूर्व फैसल रहमानी का स्वागत किया गया. मौके पर अरशद खान, डॉ इमरान फिरदौसी, अफरोज आलम, हसन शफी, शाहीन, सरवर, तबरेज, मुजाहिद, अफजल होदा समेत सैकड़ों की संख्या में लोग मौजूद थे.
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