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सीएस को सरकारी अस्पताल पर भरोसा नहीं, मरीजों को प्राइवेट नर्सिंग होम किया रेफर

सीएस को सरकारी अस्पताल पर भरोसा नहीं, मरीजों को प्राइवेट नर्सिंग होम किया रेफर

मुंगेर. मुंगेर सदर अस्पताल मॉडल अस्पताल बन चुका है और यहां सरकार की तरफ से हाईटेक स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराया जा रहा है. लेकिन जिस असैनिक शल्य चिकित्सक सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी (सिविल सर्जन) के कंधों पर जिले में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था की कमान है, उन्हीं को सरकारी अस्पताल के इलाज पर भरोसा नहीं है. तभी तो मुंगेर के सिविल सर्जन डॉ रामप्रवेश प्रसाद अपने निजी क्लिनिक से सीधे मरीज को शहर के एक बड़े निजी नर्सिंग होम में रेफर कर रहे हैं. जो सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है.

सिविल सर्जन निजी नर्सिंग होम रेफर कर रह रहे मरीज

मुंगेर के सिविल सर्जन डॉ रामप्रवेश प्रसाद शहर के बड़ी बाजार में हार्ट व डाइबेटिज क्लीनिक नाम से क्लीनिक संचालित कर रहे हैं. जिसमें उन्होंने खुद को हृदय, पेट, टीबी, लकवा, ब्रेन, मानसिक रोग एवं शिशु रोग विशेषज्ञ बताया है. सुबह नौ बजे से दो बजे तक एवं शाम में 5.30 बजे से 8.30 बजे तक क्लीनिक में बैठने का समय निर्धारित किया है. उनके क्लीनिक का एक चिट्ठा सामने आया है. जिसमें उन्होंने मरीज को मलेरिया, एनेमिया, टॉयफॉइड बताते हुए सदर अस्पताल मुंगेर के पीछे अवस्थित नेशनल हॉस्पीटल तोपखाना बाजार रेफर किया है. लोग बड़ा सवाल उठा रहे हैं कि जब सिविल सर्जन ही निजी क्लीनिक खोल कर मरीज को निजी नर्सिंग होम भेज रहे हैं तो सदर अस्पताल में तैनात चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी क्यों नहीं भेजेंगे. इतना ही नहीं सरकारी अस्पताल के इलाज पर उनको भरोसा नहीं है, तभी तो निजी नर्सिंग होम मरीज को भेज रहे हैं. जब एक सिविल सर्जन जिनके कंधों पर समाज के अंतिम पंक्ति में बैठे मरीज तक स्वास्थ्य सुविधा को पहुंचाने की जिम्मेदारी है, आज वहीं अपने निजी क्लीनिक के चिट्ठा पर मरीज को निजी नर्सिंग होम रेफर कर रहे है. सीएस का जो चिट्ठा है वह सोशल मीडिया पर भी चल रहा है. हालांकि प्रभात खबर सिविल सर्जन के निजी क्लीनिक के चिट्ठा की पुष्टि नहीं करती है.

सदर अस्पताल में है दलालों का कब्जा, निजी नर्सिंग होम पहुंच रहे मरीज

मुंगेर सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड से लेकर पुरुष व महिला वार्ड, प्रसव वार्ड, आइसीयू और एसएनसीयू तक बिचौलियों का कब्जा है. बिचौलियों में एक ओर जहां कुछ गिने-चुने स्वास्थ्यकर्मी व निजी नर्सिंग होम के तथाकथित लोग हैं, वहीं दूसरी तरफ प्राइवेट एंबुलेंस चालक भी मुख्य भूमिका निभा रहे हैं. इतना ही नहीं सरकारी स्तर पर चलने वाले एंबुलेंस के चालक, सदर अस्पताल के निजी सुरक्षा गार्ड भी बहती गंगा में हाथ धो रहे हैं. रात के समय अस्पताल आने वाले जरूरतमंद रोगियों को इमरजेंसी वार्ड में रेफर कराने का खेल शुरू हो जाता है. इतना ही नहीं कई चिकित्सक भी नाइट ड्यूटी में अपने ब्रोकर को रखते हैं, जो रेफर मरीजों की जान मुश्किल में बता कर निजी नर्सिंग होम भेजते हैं. हद तो यह है कि बिचौलिये इमरजेंसी, आइसीयू, पुरुष वार्ड और महिला वार्ड में भर्ती मरीजों के बीच ही स्वास्थ्यकर्मी बन उनकी तीमारदारी करते हैं और झांसे में लेकर निजी नर्सिंग होम पहुंचा देते हैं.

सिविल सर्जन के साथ है वेक्टर जनित रोग पदाधिकारी

मुंगेर के जो सिविल सर्जन सदर अस्पताल उपाधीक्षक सहित छह-छह विभाग के प्रभारी पद पर तैनात है. सबसे अहम है कि जिस बीमारी मलेरिया में मरीज को उन्होंने निजी नर्सिंग होम रेफर किया, उस बीमारी को देखने के लिए स्वास्थ्य विभाग में एक विभाग वेक्टर जनित रोग विभाग बना हुआ है. जिसका प्रभार सिविल सर्जन के पास है. बावजूद मलेरिया रोगी को वे निजी नर्सिंग होम रेफर कर रहे हैं.

कहते हैं सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डॉ रामप्रवेश प्रसाद ने कहा कि मैंने सरकारी चिट्ठा पर किसी मरीज को रेफर नहीं किया. बल्कि मैंने अपने प्राइवेट चिट्ठा पर मरीज को रेफर किया है. प्राइवेट चिट्ठा पर कोई भी चिकित्सक मरीज को किसी भी निजी नर्सिंग होम रेफर कर सकता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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